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इस देश में हर 5 साल बाद बहती हैं खून की नदियां! 2 दिन में ढाई लाख जानवरों की चढ़ाई गई बलि

Gadhimai Mandir Nepal Blood Festival: नेपाल में हर 5 साल में एक बार गढ़ीमाई त्योहार का आयोजन होता है। देश-विदेश से लाखों लोग इस त्योहार में हिस्सा लेने आते हैं। मगर क्या जानते हैं कि इसे ब्लड फेस्टिवल क्यों कहा जाता है?
12:00 PM Dec 14, 2024 IST | Sakshi Pandey
इस देश में हर 5 साल बाद बहती हैं खून की नदियां  2 दिन में ढाई लाख जानवरों की चढ़ाई गई बलि

Gadhimai Mandir Nepal Blood Festival: बीते दिन बिहार और नेपाल के बॉर्डर पर 400 पशुओं को रेस्क्यू किया गया। सशस्त्र सीमा बल (SSB), बिहार पुलिस, पीपल फॉर एनिमल्स (PFA) और ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेसनल (HSI) ने मिलकर 400 जानवरों को बॉर्डर क्रॉस करने से रोक लिया। इन जानवरों में 74 भैंसें और 326 बकरियां शामिल थीं। क्या आप जानते हैं कि इन जानवरों को कहां ले जाया जा रहा था?

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2 दिन में ढाई लाख जानवरों की बलि चढ़ी

इन जानवरों को नेपाल ले जाया जा रहा था, जहां उनकी बलि दी जानी थी। जी हां, पिछले 2 दिन में 2.5 लाख से ज्यादा जानवरों की बलि दी जा चुकी है। इन जानवरों में भैंस, बकरी, सुअर, चूहे और कबूतर जैसे जानवर शामिल थे। नेपाल में मनाए जाने वाले इस त्योहार को गढ़ीमाई त्योहार के रूप में जाना जाता है। दुनिया के कई देश इसे ब्लड फेस्टिवल भी कहते हैं।

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कहां है गढ़ीमाई मंदिर?

नेपाल की राजधानी काठमांडू से करीब 160 किलोमीटर दूर बरियापुर गांव स्थित है। इसी गांव में है माता गढ़ीमाई का मंदिर। इस मंदिर में हर 5 साल में एक बार गढ़ीमाई त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान लाखों जानवरों की बलि दी जाती है। ह्यमेन सोसाइटी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार 2009 में यहां 5 लाख से ज्यादा जानवरों की बलि चढ़ाई गई थी। 2014 और 2019 में भी ढाई लाख से ज्यादा जानवर बलि की भेंट चढ़ गए थे।

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क्या है बलि चढ़ाने की मान्यता

यह त्योहार सदियों पुराना है। आज से लगभग 265 साल पहले 1759 में पहली बार यह त्योहार मनाया गया था। मान्यताओं की मानें तो गढ़ीमाई मंदिर के संस्थापक भगवान चौधरी को एक रात सपना आया। सपने में गढ़ीमाई माता ने उन्हें जेल से छुड़ाने, सुख और समृद्धि से बचाने के लिए इंसान की बलि मांगी है। भगवान चौधरी ने इंसान की बजाए जानवर की बलि दी और तभी से गढ़ीमाई मंदिर में हर 5 साल बाद लाखों जानवरों की बलि चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।

Gadhimai Temple Nepal

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शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर

दुनिया के कई बड़े देश और संगठन इस त्योहार की निंदा कर चुके हैं। कई हेल्थ एक्टिविस्ट इस त्योहार की निंदा कर चुके हैं। बता दें कि इस साल गढ़ीमाई त्योहार 16 नवंबर से 15 दिसंबर तक मनाया जा रहा है। कल यानी रविवार को गढ़ीमाई त्योहार का आखिर दिन है। इस त्योहार में हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु गढ़ीमाई मंदिर आते हैं। चीन, अमेरिका और यूरोप के भी कई लोग इस त्योहार में शिरकत करते हैं। गढ़ीमाई त्योहार का आगाज पुजारी अपना खून चढ़ाकर करते हैं। इस मंदिर को नेपाल के शक्तिपीठों में से एक माना गया है।

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