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अनोखे गांव की अनोखी कहानी! जानवरों के नाम पर हैं लोगों के सरनेम

यूपी के एक गांव में लोगों के नाम रखने का तरीका बहुत अनोखा है। वे जानवरों के नाम पर अपना नाम रखते हैं। आइये इसके बारे में जानते हैं।
10:05 PM Nov 09, 2024 IST | Ankita Pandey
अनोखे गांव की अनोखी कहानी  जानवरों के नाम पर हैं लोगों के सरनेम
Credit- Bamnauli facebook Page

भारत में बच्चों का नामकरण एक पुरानी परंपरा है और इसका चुनाव बहुत सोच समझ कर और ग्रह- नक्षत्रों के हिसाब से किया जाता है। ऐसे में नाम के पहले अक्षर से लेकर पूरे नाम का चुनाव एक मुश्किल काम होता है। ऐसे में अगर हम आपसे कहें कि एक गांव ऐसा है, जो अपने सरनेम या उपनाम में जानवरों के नाम का प्रयोग करता है। जी हां ये यूपी के बागपत का एक गांव की कहानी है, जहां लोग अनोखे नाम रखते हैं। आइये इसके बारे में जानते हैं।

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कैसे होती है लोगों की पहचान?

बता दें कि बामनौली गांव के लोगों की पहचान उनकी हवेलियों से की जाती है। अक्सर गांव में आने वाले लोग  किसी के घर का रास्ता पूछते हैं और उसके लिए परिवार की हवेली का नाम लेते हैं। इसे हवेलियों का गांव भी कहते हैं। इसके अलावा गांव में 11 ऐतिहासिक मंदिर भी हैं, जो गांव की परपंरा को दर्शाते हैं।

इसके साथ ही एक अनोखी परंपरा के तहत बहुत पुराने समय से ही यहां के लोग जानवरों और पक्षियों के नाम को अपने उपनाम यानी सरनेम के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

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जानवरों के नाम पर उपनाम

मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां लोगों के उपनाम जानवरों के नाम पर रखे गए हैं और ये परंपरा कई पीढियों से चली आ रही है। न्यूज 18 की रिपोर्ट में बताया गया कि यहां एक व्यक्ति वीरेश का पूरा नाम वीरेश भेड़िया है। वीरेश ने बताया कि आमतौर पर तोता, पक्षी, गिलहरी, बकरी और बंदर जैसे शब्दों का इस्तेमाल उपनाम के तरह का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे सोमपाल को सियार के नाम से जाना जाता है।

यहां तक की पोस्ट ऑफिस में चिट्ठी पर भी इन उपनामों का इस्तेमाल किया जाता है। गांव के डाक कर्मचारी बिजेंद्र सिंह ने जानकारी दी की इन उपनामों  की मदद से डाक विभाग गांव के लोगों की पहचान करता है। इस गांव में 14 हजार लोग रहते है, जो 250 साल पुरानी परंपराओं को आज भी फॉलो करते हैं। गांव में 50 से अधिक भव्य हवेलियां है, जो गांव की परंपरा का बखान करती हैं।  गांव वालों ने बताया कि उनके पूर्वजों ईंट बनाने के लिए भट्टे लगाते थे, ताकि भव्य हवेलियां बनाई जा सकें।

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