मैथ प्रॉब्लम को सॉल्व करेगा इंटेलिजेंट बैक्टीरिया! वैज्ञानिकों ने किया अनोखा चमत्कार
कोलकाता के साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स में कम करने वाले सिंथेटिक बायोलॉजिस्ट संग्राम बाग ने एक बड़ी सफलता पा ली है। उन्होंने एक इंटेलिजेंट बैक्टीरिया बनाया है। ये बैक्टीरिया किसी नंबर में प्राइम नंबर की पहचान कर सकता है। साथ ही अल्फाबेट्स में वॉवल की पहचान कर सकता है। ये भारत के लिए बड़ी सफलता है। आइए इस बैक्टीरिया के बारे में जानते हैं।
कंप्यूटिंग करने वाले बैक्टीरिया
साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स में काम करने वाले संग्राम बाग ने लैब में ऐसे बैक्टीरिया को तैयार किया है, जो यह तय कर सकता है कि दी गई कोई संख्या प्राइम नंबर है या कोई अल्फाबेट स्वर है। संग्राम ने बताया कि पहले ये केवल 'मनुष्यों या कंप्यूटरों द्वारा' किया जा सकता था, लेकिन अब जेनेटिक इंजीनियर से तैयार किए गए बैक्टीरिया भी यही कर रहे हैं।
बता दें कि बैक्टीरिया सिंगल सेल के बने होते हैं, मगर वे अपने आसपास के वातावरण के लिए संवेदनशील होते हैं और प्रतिक्रिया भी देते हैं। वहीं बहुकोशिकीय जीव जैसे डॉल्फिन, चिम्पांजी, ऑक्टोपस, कौवे और मनुष्य को बुद्धिमान जीवों में गिना जाता है। इनमें करोड़ों ब्रेन न्यूरॉन्स होते हैं।
बैक्टीरिया में जेनेटिक सर्किट
बाग की टीम ने बताया कि उन्होंने बैक्टीरिया में ‘जेनेटिक सर्किट’ पेश किए, जिन्हें रासायनिक प्रेरकों ( केमिकल सब्सटेंस, जिसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है) के कॉम्बिनेशन से एक्टिव किया जा सकता था। इसके बाद टीम ने बैक्टीरिया को अलग-अलग इंजीनियर सर्किट के साथ मिलाकर एक सॉल्यूशन में बैक्टीरिया के ‘कंप्यूटर’ बनाए, जो आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स नेटवर्क की तरह व्यवहार करते थे। इस सेटिंग में इंजीनियर बैक्टीरिया का हर प्रकार एक 'बैक्टोन्यूरॉन' था और बैक्टोन्यूरॉन के कॉम्बिनेशन बिल्कुल बहुकोशिकीय जीव की तरह गणित पर प्रतिक्रिया कर रहे थे।
मेडिकल साइंस में विकास
टीम ने सितंबर में नेचर केमिकल बायोलॉजी में अपनी फाइंडिंग की रिपोर्ट की। इस पेपर ने सिंथेटिक बायोलॉजिस्ट - जीवों में नई क्षमताओं की इंजीनियरिंग करने वाले एक्सपर्ट के बीच रुचि पैदा की है। कोच्चि के सी.वी.जे. सेंटर फॉर सिंथेटिक बायोलॉजी एंड बायो मैन्युफैक्चरिंग के एग्जीक्यूटिव डाय पवन धर ने कहा कि हम एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं जहां बैक्टीरिया को केमिकल कॉन्वर्सेशन के जरिए मैथ प्रॉब्लम को हल करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है।
आगे उन्होंने कहा कि इन बैक्टीरियल कंप्यूटर्स के आने से फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री, मेडिकल साइंस और बायो मैन्युफैक्चरिंग फील्ड में विकास हो सकता है।
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