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जिंदा बेटी का होगा पिंडदान; महाकुंभ से पहले जिगर के टुकड़े को कर दिया दान, बनेगी साध्वी

Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के आगरा के एक परिवार ने अपनी 13 साल की बेटी को दान कर दिया है। अब जिंदा बेटी का पिंडदान होगा और इसके बाद वह साध्वी बन जाएगी।
09:10 AM Jan 08, 2025 IST | Avinash Tiwari
जिंदा बेटी का होगा पिंडदान  महाकुंभ से पहले जिगर के टुकड़े को कर दिया दान  बनेगी साध्वी

Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। करोड़ों की संख्या में भक्त इस आयोजन में शामिल होने वाले हैं। महाकुंभ से पहले उत्तर प्रदेश के आगरा से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, यहां के एक दंपत्ति ने अपनी बेटी को ही दान कर दिया है। महज 13 साल की जिंदा लड़की का पिंडदान कराया जाएगा, इसके बाद वह साध्वी बन जाएगी।

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आगरा में थाना बमरौली कटारा क्षेत्र के गांव तर्र्कपुर के रहने वाले संदीप सिंह पेठा व्यापारी हैं। उनकी पत्नी रीमा गृहणी हैं। दोनों की दो बेटियां हैं राखी और निक्की! राखी बड़ी बेटी हैं, जिसकी उम्र 13 साल है और स्प्रिंग फील्ड इंटर कॉलेज में कक्षा नौ की छात्रा है। माता-पिता ने राखी को जूना अखाड़े को दान कर दिया है।

बच्ची ने जताई थी साध्वी बनने की इच्छा

मां रीमा के अनुसार, गुरु की सेवा में करीब चार साल से जुड़े हैं। कौशल गिरि ने उनके मोहल्ले में भागवत कथा कराई थी, उसी समय से मन में भक्ति जागृत हुई। 26 दिसंबर को दोनों बेटियों के साथ परिवार महाकुंभ मेला क्षेत्र में गया और गुरु के सान्निध्य में शिविर सेवा में लगा हुआ है। यहीं पर राखी ने साध्वी बनने की इच्छा जताई थी, उसकी इच्छा पूरी करते हुए कौशल गिरि के माध्यम से सेक्टर 20 में शिविर प्रवेश कराया गया है।

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दंपत्ति ने संगम की रेती पर अपनी 13 वर्षीय बेटी राखी सिंह ढाकरे को जूना अखाड़े को दान कर दिया। गंगा स्नान के बाद गुरुग्राम (हरियाणा) से आए जूना अखाड़ा के संत कौशल गिरि ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राखी को शिविर प्रवेश कराया और नामकरण किया। अब राखी का नाम 'गौरी' रख दिया गया है। गौरी का पिंडदान 19 जनवरी को शिविर में होगा। सभी धार्मिक संस्कार कराए जाएंगे, उसके बाद से बेटी, गुरु के परिवार का हिस्सा हो जाएगी और उसका मूल परिवार उससे छूट जाएगा।

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राखी के स्कूल स्प्रिंग फील्ड स्कूल के प्रधानाचार्य का कहना है कि राखी एक मेधावी छात्रा रही है। पढ़ने में अब्बल रहा करती थी। पढ़ने के साथ साथ पूजा अर्चना पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देती है। नवरात्रि के दौरान राखी घर से स्कूल तक बिना जूते, चप्पल पहने पैदल चलकर आती थी। आध्यात्मिक विषयों पर राखी स्कूल की छात्राओं से बिलकुल अलग थी।

जूना अखाड़ा के संत संत कौशल गिरी ने कहा कि यह सनातन धर्म का प्रचार है और दंपति ने जो काम किया है वह हर कोई नहीं कर पाता है।

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