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540 रुपये में खरीदी गई मूर्ति की कीमत 2.68 करोड़ रुपये! आखिर इसमें क्या है जादू?

Bizarre News : एक मूर्ति को करीब 540 रुपये में खरीदा गया लेकिन अब इस मूर्ति की कीमत दो करोड़ से अधिक हो चुकी है। आखिर किसकी है ये मूर्ति और किसने बनाई थी? आइये जानते हैं।
02:33 PM Nov 13, 2024 IST | Avinash Tiwari
540 रुपये में खरीदी गई मूर्ति की कीमत 2 68 करोड़ रुपये  आखिर इसमें क्या है जादू

Bizarre News : करीब सौ साल पहले चंद रुपयों में खरीदी गई एक मूर्ति अब करोड़ों रुपये में बिकने वाली है। लगभग 100 वर्ष पहले एक स्कॉटिश नगर परिषद द्वारा 540 रुपये में एक मूर्ति खरीदी गई थी। 18वीं सदी की इस मूर्ति की इतनी कीमत हो गई कि सुनने के बाद लोगों का मुंह खुला का खुला रह गया है।

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5 पाउंड (करीब 540 रुपये) में खरीदी गई और लंबे समय तक इस मूर्ति का इस्तेमाल दरवाजे के स्टॉपर के रूप में किया जाता था। संगमरमर की ये मूर्ति जल्द ही 2.5 मिलियन पाउंड (2.68 करोड़ रुपये) से अधिक में बेची जा सकती है। जमींदार और पूर्व सांसद जॉन गॉर्डन की ये मूर्ति है, जिसे बुचार्डन बस्ट के रूप में जाना जाता है। ये फेमस फ्रांसीसी मूर्तिकार एडमे बुचार्डन द्वारा बनाई गई थी। 1930 में इनवर्गोर्डन टाउन काउंसिल द्वारा अधिग्रहित की गई इस मूर्ति को स्थानीय टाउन हॉल में प्रदर्शित किया जाना था लेकिन महल में आग लगने के बाद यह मूर्ति खो गई।

1998 में मूर्ति मिल गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाइलैंड काउंसिल की तरफ बताया गया है कि एक निजी विदेशी खरीदार ने इस मूर्ति को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई और 2.5 मिलियन पाउंड (2.68 करोड़ रुपये) से अधिक की पेशकश की। इस प्रतिमा की मांग इतनी अधिक थी कि कहीं प्रदर्शनी के लिए नहीं रखा।

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2016 में पेरिस के लूवर संग्रहालय और उसके एक साल बाद लॉस एंजिल्स के गेट्टी संग्रहालय को उधार दे दिया गया था। पहले इसे बेचने से इनकार कर दिया गया था लेकिन अब अदालत की अनुमति के बाद इसी साल इस मूर्ति को बेचने का फैसला लिया गया है। जिस मूर्ति को 540 रुपये में खरीदा गया था वो 2.68 करोड़ रुपये में बिक रही है। ये अपने आप में एक बड़ी और दिलचस्प बात है।

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पिछले हफ्ते अदालत की मजूरी के बाद यह निर्धारित करने के लिए एक कानूनी समीक्षा की जाएगी कि क्या यह प्रतिमा “राष्ट्रीय धरोहर” के रूप में योग्य है। हालांकि यह नीलाम होती या नहीं, इसको लेकर संशय बना हुआ है क्योंकि अधिकारी अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं।

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