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संसद में अचानक महिला सांसद क्यों नाचने लगी? पूरी दुनिया में वायरल है ये वीडियो

New Zealand MP Viral Video : न्यूजीलैंड की संसद में हुए बवाल का एक वीडियो वायरल हो रहा है इस वीडियो में 22 वर्षीय हाना-राव्हिटी करीरिकी मापी क्लार्क हाका डांस करती दिखाई दे रही हैं।
02:58 PM Nov 15, 2024 IST | Avinash Tiwari
संसद में अचानक महिला सांसद क्यों नाचने लगी  पूरी दुनिया में वायरल है ये वीडियो

New Zealand MP Viral Video : न्यूजीलैंड की संसद का एक वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है। इस वीडियो में न्यूजीलैंड की सबसे युवा सांसद हाना-राव्हिटी करीरिकी मापी-क्लार्क दिखाई दे रही है और उन्हीं की वजह से यह वीडियो वायरल हो रहा है। पिछले साल भी ये महिला सांसद संसद में अपने पहले भाषण के बाद वायरल हुई थी। अब एक साल बाद ऐसा क्या हुआ है कि इस सांसद का वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है।

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न्यूजीलैंड में संधि सिद्धांत विधेयक पर बवाल मचा हुआ है। इस विधेयक पर जब संसद भवन में वोटिंग हो रही थी तब 22 वर्षीय हाना-राव्हिटी करीरिकी मापी क्लार्क ने संधि सिद्धांत विधेयक पर मतदान में बाधा डाली और उसे फाड़ दिया। इसके बाद वह हाका नृत्य करके चर्चा में गई हैं।

संसद में क्या हुआ?

संधि सिद्धांत विधेयक पर वोट के वायरल वीडियो में 22 साल की माओरी सांसद को हाका करने से पहले कानून की एक प्रति फाड़कर फेंकते दिखाई दे रही है। इसके बाद कई सांसद उनके समर्थन में गैलरी में आ गए। सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी गई। हालांकि हाका डांस के कारण सांसद का वीडियो वायरल गया।

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क्या है हाका डांस?

हाका एक पारंपरिक माओरी नृत्य है। इस डांस के दौरान लोग अग्रेसिव दिखाई देते हैं और सामने वाले को चुनौती देते हैं। हाका डांस करने के बाद 22 वर्षीय हाना-राव्हिटी करीरिकी मापी क्लार्क पहली बार चर्चा में आई थीं और अब फिर उन्होंने इसके जरिए सुर्खियां बटोरी हैं।

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संसद में क्यों हुआ विवाद?

संसद में गठबंधन सरकार में शामिल एसीटी न्यूजीलैंड पार्टी ने पिछले सप्ताह विधेयक प्रस्तुत किया था, जिसमें वेटांगी संधि के कुछ सिद्धांतों को बदलने का प्रयास किया गया है। कई माओरी लोग इसके विरोध में है। 1840 में ब्रिटिश क्राउन और 500 से ज्यादा माओरी प्रमुखों के बीच पहली बार हस्ताक्षरित इस संधि में यह तय किया गया था कि दोनों पक्ष किस तरह शासन करेंगे। अब इसमें बदलाव के बाद कई माओरी और उनके समर्थकों का मानना ​​है कि यह विधेयक देश के मूल निवासियों के अधिकारों का हनन करता है जिनकी संख्या देश की 5.3 मिलियन की जनसंख्या में लगभग 20% है।

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