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भारत के इस हिस्से में जाने का मतलब मौत! यहां भारतीयों की एंट्री बैन! ये है वजह

North Sentinel Island : भारत के किस हिस्से पर किसी का भी जाना प्रतिबंधित हैं और यहां पर जब भी किसी ने जाने की कोशिश की तो वह वापस लौटकर नहीं आया।
02:53 PM Oct 05, 2024 IST | Avinash Tiwari
भारत के इस हिस्से में जाने का मतलब मौत  यहां भारतीयों की एंट्री बैन  ये है वजह

North Sentinel Island : क्या आपको पता है कि भारत का एक हिस्सा ऐसा भी है, जहां कोई भी नहीं जा सकता। भारत सरकार ने इस जगह किसी के भी जाने पर रोक लगा दी है। यहां पर जब भी किसी ने जाने की कोशिश की तो वह वापस लौटकर नहीं आया। आखिर भारत की ये जगह कौन सी है, जहां भारतीय भी नहीं जा सकते? आज हम आपको उत्तरी सेंटिनल द्वीप के बारे में बताने जा रहे हैं।

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उत्तरी सेंटिनल द्वीप कहां है?

उत्तरी सेंटिनल द्वीप अंडमान सागर में स्थित है, जो पोर्ट ब्लेयर से लगभग 36 किमी दूर है। इस द्वीप का क्षेत्रफल लगभग 72 वर्ग किमी है। यहां सेंटिनली जनजाति रहती है, जो दुनिया की सबसे अलग-थलग और आदिवासी जनजातियों में से एक है। सेंटिनली जनजाति के संपर्क में आने की कोशिशें कई बार विफल रही हैं। वे बाहरी लोगों से दूर रहते हैं और उनकी संस्कृति अनोखी है।

भारत सरकार ने द्वीप और यहां रहने वाले जनजातियों को संरक्षित किया है और यहां किसी के भी जाने पर प्रतिबंध है, ताकि सेंटिनली जनजाति और उनकी सभ्यता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस द्वीप में अनोखा इकोसिस्टम है, जिसमें विविध वनस्पतियां और जीव-जन्तु पाए जाते हैं।

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कब हुई थी इसकी खोज?

उत्तरी सेंटिनल द्वीप का उल्लेख सबसे पहले 1880 में हुआ था, जब ब्रिटिश अधिकारियों ने इसकी खोज की। उत्तरी सेंटिनल द्वीप एक रहस्यमय और अनोखा स्थान है, जो अपनी सुंदरता और अलगाव के लिए जाना जाता है। उत्तरी सेंटिनल द्वीप के आदिवासियों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कई बार की है लेकिन सारी जानकारी स्पष्ट नहीं है। कहा जाता है कि सेंटिनेलीज के बारे में भारतीय मानवविज्ञानी टी.एन. पंडित से अधिक जानकारी शायद ही किसी को हो। भारत के जनजातीय मामलों के मंत्रालय के क्षेत्रीय प्रमुख के रूप में टी.एन. पंडित कई बार इस द्वीप का दौरा किए और इनसे बातचीत करने की कोशिश की और इनके बारे में जानकारी एकत्रित की थी।

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इस द्वीप पर जाने पर क्यों लगी है रोक?

सेंटिनली जनजाति के लोग इस आधुनिक दुनिया से पूरी तरह कटे हुए हैं। वह किसी भी तरह के हस्तक्षेप को पसंद नहीं करते हैं। एक तरफ जहां हमारा शरीर तमाम तरह की बीमारियों से लड़ने में सक्षम है वहीं सेंटिनली जनजाति के लोग नाजुक हैं। अगर बाहरी लोगों के संपर्क में आए तो उनमें नए रोगों का प्रसार हो सकता है, जिससे उनकी सेहत को खतरा हो सकता है। इनकी आबादी करीब 50 से 100 के बीच है।

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