भारत के दो अनोखे रेलवे स्टेशन, जानें क्यों नहीं हैं इनके नाम
Railway Stations Without Names : हाल ही में भारतीय रेलवे ने UP के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदले हैं, जो देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाने की दिशा में एक इम्पोर्टेन्ट कदम है। ये बदलाव स्थानीय इतिहास और महत्वपूर्ण व्यक्तियों के योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से किए गए हैं। हालांकि, जब एक ओर स्टेशनों के नाम बदलने पर ध्यान दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत में कुछ ऐसे छोटे और दूरदराज के रेलवे स्टेशन हैं जिनके पास आज भी कोई आधिकारिक नाम नहीं है।
ये स्टेशन न केवल नाम के अभाव से जूझ रहे हैं, बल्कि यात्रियों के लिए सुविधाओं की भी कमी है। बिना नाम वाले इन स्टेशनों के कारण यात्रियों को पहचान और यात्रा में कठिनाई होती है।
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इन 8 स्टेशनों के बदले हैं नाम
क्या नाम था? | बदला हुआ नाम | अल्फा कोड | |
कासिमपुर हॉल्ट | JAIS CITY | JAIC | |
जायस | GURU GORAKHNATH DHAM | JAIS | |
मिसरौली | MAA KAALIKAN DHAM | MKDM | |
बनी | SWAMI PARAMHANS | SWFS | |
निहालगढ़ | MAHARAJA BIJLI PASI | MBPP | |
अखबरगंज | MAA AHORWA BHAVANI DHAM | MABM | |
वारिसगंज | AMAR SHAHID BHALE SULTAN | ASBM | |
फुरसतगंज | TAPESHWARNATH DHAM | THWS | |
बिना नाम के रह गया पश्चिम बंगाल का यह स्टेशन
पहला बिना नाम का रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल राज्य के बर्धमान डिस्ट्रिक्ट में पड़ता है। इस डिस्ट्रिक्ट से करीब 35 किलोमीटर दूर रैना नाम का एक गांव है, जहां साल 2008 में नया रेलवे स्टेशन बनवाया गया। ये रेलवे स्टेशन दो गांवों रैना और रैनागढ़ के बीच बनाया गया है। ऐसे में इस रेलवे स्टेशन का नाम रैनागढ़ पड़ा। मगर रैना गांव में रहने वाले लोगों ने इसका विरोध कर दिया। उनका कहना था कि यह स्टेशन उनकी जमीन पर तैयार किया गया है। ऐसे में दोनों गांव के बीच विवाद छिड़ गया और मामले ने तूल पकड़ लिया। रेलवे बोर्ड को बीच बचाव के लिए आना पड़ा और उन्होंने स्टेशन पर लगे साइन बोर्ड से नाम मिटा दिया। तब से लेकर अब तक स्टेशन का कोई नाम तय नहीं हो पाया है।
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झारखंड में भी स्थित है एक बेनाम स्टेशन
दूसरा बेनाम रेलवे स्टेशन झारखंड के लोहरदगा जिले में है। जब आप रांची से टोरी के लिए रेल यात्रा करते हैं तो रास्ते में आपको ये बिना नाम वाला रेलवे स्टेशन दिखेगा। जानकारी के मुताबिक, रेलवे ने 2011 में इस स्टेशन को शुरु किया था। तब इस रेलवे स्टेशन का नाम 'बड़कीचांपी' रखा गया। लेकिन स्थानीय लोगों को यह नाम नहीं पसंद आया और उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। दरअसल, गांव वालों ने इस स्टेशन को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। लोगों का कहना था कि यह स्टेशन कमले गांव की जमीन पर बना है, इसलिए वे इस स्टेशन का नाम 'कमले' रखना चाहते थे। तब से लेकर अब तक इस रेलवे स्टेशन को कोई ऑफिशियल नाम नहीं दिया गया है।