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स्टेशन मास्टर की घरेलू लड़ाई में पिस गई रेलवे, एक 'OK' और लग गया 3 करोड़ का चूना

स्टेशन मास्टर की थोड़ी सी लापरवाही से एक ट्रेन  वहां पहुंच गई, जहां उसे नहीं होना चाहिए था, इसके कारण रेलवे को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा।
06:31 PM Nov 08, 2024 IST | Ankita Pandey
Indian Railway
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एक अनोखी सामने आई है, जिसमें एक स्टेशन मास्टर की अपनी पूर्व पत्नी से हो रही  लड़ाई ने उसके साथ-साथ रेलवे को भी भारी समस्या में डाल दिया। एक तरफ स्टेशन मास्टर की नौकरी गई तो दूसरी तरफ रेलवे को भी 3 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा। इसके साथ ही उस व्यक्ति के तलाक का केस विशाखापत्तनम से सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ के दुर्ग तक पहुंच गया और  12 साल तक चला। इसका कारण केवल एक छोटा सा OK है।

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विशाखापट्टनम के स्टेशन मास्टर ने अपनी पत्नी के साथ चल रही लड़ाई के बीच में फोन पर बात खत्म करते हुए 'OK' कहा, लेकिन इसका नुकसान रेलवे को झेलना पड़ा। आइये इसके बारे में जानते हैं।

क्या है पूरा मामला?

यह घटना तब हुई जब विशाखापत्तनम के एक स्टेशन मास्टर ने ड्यूटी पर रहते हुए अपनी पत्नी के साथ गुस्से में कॉल खत्म कर दी। मगर उस दौरान उसका माइक्रोफोन ऑन था । कॉल को खत्म करते समय स्टेशन मास्टर ने OK बोला था। इसको उनके एक सहकर्मी ने सुना और उनसे इस OK को माओवादी प्रभावित क्षेत्र में मालगाड़ी भेजने का संकेत समझा।

हालांकि इसके चलते कोई दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन प्रोटोकॉल टूटने के कारण रेलवे को भारी नुकसान झेलना पड़ा और स्टेशन मास्टर को निलंबित कर दिया गया।

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Representative Image

पति-पत्नी का घरेलू मामला

बता दें कि अक्टूबर 2011 में विवाहित इस कपल के बीच शादी की शुरुआत से ही तनाव चल रहा था। इसका कारण पत्नी का अपने पिछले रिश्ते से संबंध था। हालांकि स्टेशन मास्टर ने माता-पिता के जरिए और अन्य तरीकों से समस्या को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन, कुछ भी काम नहीं आया और तनाव बढ़ता गया।

इसके बाद स्टेशन मास्टर ने आपसी मतभेदों का हवाला देते हुए तलाक के लिए अर्जी दाखिल की।वहीं  उनकी पत्नी ने उन पर और उनके परिवार के सदस्यों पर IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता का आरोप लगाया। आखिर में मामला  छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय पहुंचा और

फैसला पति के पक्ष में आया

इस पर फैसला देते हुए न्यायमूर्ति रजनी दुबे और संजय कुमार जायसवाल ने बताया कि पत्नी के कार्यों में मानसिक क्रूरता शामिल है। न्यायालय ने उसके पति और ससुराल वालों के खिलाफ उसके आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने कहा कि उसके लगातार तर्कों और झूठे आरोपों ने स्टेशन मास्टर को काफी परेशान किया है। उच्च न्यायालय के फैसले ने केवल स्टेशन मास्टर को तलाक की अनुमति दी और  रेलवे ऑपरेशन के दौरान गलत कम्यूनिकेशन से होने वाली समस्याओं पर भी चिंता जताई।

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