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स्टार्टअप सफल होते ही नौकरी छोड़ने की सोच रहा था शख्स, अचानक हुआ 45 लाख का नुकसान

Techie Suffers Huge Loss In Fisheries: कर्नाटक में एक techie का लगभग 45 लाख रुपये का नुकसान हो गया। जैसे ही उसने अपने मछली पालन स्टार्टअप के सेट हो जाने के बाद नौकरी छोड़ने की सोची तो 17 हजार मछलियां मर गईं। उसने यह बताया कि मछलियों के नुकसान का मुआवजा भी नहीं मिलता।
09:17 PM May 14, 2024 IST | Prerna Joshi
स्टार्टअप सफल होते ही नौकरी छोड़ने की सोच रहा था शख्स  अचानक हुआ 45 लाख का नुकसान
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Techie Suffers Loss In Startup: आजकल स्टार्टअप शब्द अक्सर सुनने में आता है। लोग अपनी अच्छी-से-अच्छी नौकरी छोड़कर अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करके आज करोड़ों कमा रहे हैं। ऐसा ही कुछ कर्नाटक के एक व्यक्ति के साथ हुआ। BE और MBA जैसी डिग्री, techie होने के बावजूद जब स्टार्टअप से लाखों के फायदे के बाद उसने नौकरी छोड़ने की सोची तो लगभग 45 लाख रुपये का नुकसान हो गया।

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40-45 लाख रुपये का नुकसान

आपको बता दें कि 33 साल के वीरेश कवातागी BE और MBA ग्रेजुएट हैं और MNC में कर्मचारी के साथ-साथ techie भी हैं। पिछले साल मछलियां पालने के बिजनेस में सफलता पाने के बाद वह अपनी नौकरी छोड़ने वाले थे। हालांकि, उनके फार्म में करीब 17,000 मछलियां मर गई हैं जिससे उन्हें 40-45 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। आशंका है कि इनकी मौत लू की वजह से हुई है।

8 टन से ज्यादा वजन की मछलियां

एक बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्होंने साल 2021 में लगभग 15 गुंटा में एक खेत तालाब बनाकर अहेरी (मदाभवी टांडा) में अपनी पैतृक खेती की जमीन पर मछली पालन शुरू किया था। 8 टन से ज्यादा वजन की मछली बेचकर 8 लाख रुपये का मुनाफा कमाया था जिससे प्रेरित होकर उन्होंने कई एक्सपर्ट्स से सलाह ली और पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग 20 लाख रुपये खर्च किए। जब उन्होंने मरी हुई मछलियों को हटाया तो पता चला कि उनका वजन 15 टन से ज्यादा था। इस बार मछली के दाम बढ़े हैं इसलिए उन्हें इस बार लगभग 40-45 लाख रुपये की आय की उम्मीद थी। कवाटगी इस इलाके में एक मॉडल किसान के तौर पर उभरे थे और वह प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की मदद से वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन करने वाले कर्नाटक के पहले किसान होने का दावा करते हैं।

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मछलियों के लिए नहीं है बीमा

चिंता की बात यह है कि सभी पशुओं के लिए बीमा है लेकिन मछलियों के लिए नहीं। वीरेश कवातागी ने कहा कि मछली के नुकसान का कोई मुआवजा भी नहीं है। सरकार को उनकी मौत की वजह पर जांच या स्टडी करने दीजिए। उनकी मछली को कभी कोई रोग या बीमारी नहीं हुई। उनका वजन एवरेज 1.5 किलोग्राम था। उन्होंने आगे कहा कि इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार को उनके नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह उन किसानों के लिए एक बुरी मिसाल होगी जो मछली पालन करने की इच्छा रखते हैं।

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