इस देश में है 4 डे वर्किंग का रूल, इकोनॉमी हुई बूस्ट और वर्कर भी खुश
4 Day Working: हमने 5 डे वर्किंग के बारे में तो जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी 4 डे वर्किंग के बारे में सुना है। जी हां यू.के. में ऑटोनॉमी इंस्टीट्यूट और आइसलैंड के एसोसिएशन फॉर सस्टेनेबिलिटी एंड डेमोक्रेसी (एल्डा) ने हाल ही में एक स्टडी की है। इसमें पता चला है कि आइसलैंड के 4 डे वर्क-वीक के एक्सपीरियंस ने बेहतरीन सफलता दिखाई है। इस स्टडी में 2020 से 2022 तक का डेटा लिया गया है।
रिव्यू में पता चला है कि आइसलैंड के 51% कर्मचारियों ने बिना किसी वेतन कटौती के शॉट वर्किंग ऑवर्स को अपनाया है। इससे आइसलैंड की इकोनॉमी यूरोप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गई। आइये इसके बारे में जानते हैं।
कब शुरू हुआ था परीक्षण?
बता दें कि इस कॉन्सेप्ट की टेस्टिंग 2015 और 2019 के बीच पब्लिक सेक्टर में शुरू की गई थी। जिसके तहत कर्मचारी बिना पे कट के हफ्ते में 35-36 घंटे काम करते थे। रिसर्चर्स ने पाया कि प्रोडक्टिविटी या तो स्टेबल रही या ज्यादातर मामलों में इसमें सुधार हुआ है।
इसके साथ ही एम्प्लोई वेलबीइंग में भी बढ़ोतरी देखी गई। इसमें कई सुधारों में स्ट्रेस में कमी, बेहतर स्वास्थ्य और वर्क लाइफ बैलेंस शामिल थे।
हालांकि कई ऐसे विचार भी आए कि लो ऑवर्स प्रोडक्टिविटी को कम कर सकते हैं, मगर स्टडी ने इन दावों को पूरी तरह से गलत ठहरा दिया है। स्टडी में बताया गया कि 2023 में इकोनॉमी में लगभग 4.1% की बढ़ोतरी हुई, जबकि बेरोजगारी दर सिर्फ़ 3.6% थी।
क्या है फायदा?
4 डे वर्क-वीक के कई लाभ सामने आए हैं, जिसमें 78% वर्कर ने अपने वर्क आवर्स से संतुष्ट है। वहीं 62% ने अपने घंटे कम करने के बाद ज्यादा संतुष्ट महसूस किया। इसके अलावा 97% ने बेहतर या स्टेबल वर्क लाइफ बैलेंस की सूचना दी, जबकि 42% ने अपने पर्सनल लाइफ में तनाव के स्तर में कमी का अनुभव किया।
आइसलैंड की शॉर्टर वर्क वीक के साथ सफलता प्रोडक्टिविटी और वर्कर वेल बीइंग में सुधार के लिए इसी तरह के दृष्टिकोण पर विचार करने वाले अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकती है।
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