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फूल, रंग, पानी नहीं यहां पत्थर से खेली जाती है होली, 400 साल पुरानी है परंपरा

Unique Holi : कहीं होली गुलाल से खेली जाती हैं तोकहीं रंग से लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जहां पर पत्थर मारकर होली खेली जाती है। इस होली के दौरान कई लोग घायल हो जाते हैं। घायल हुए लोगों का खून जब जमीन पर गिरता है तो इसे शुभ माना जाता है।
06:49 PM Mar 25, 2024 IST | Avinash Tiwari
फूल  रंग  पानी नहीं यहां पत्थर से खेली जाती है होली  400 साल पुरानी है परंपरा
पत्थर मार होली

Unique Holi : होली का त्योहार लोग अपने अपने तरीके से मनाते हैं। कहीं लट्ठमार होली खेली जाती है तो कहीं होली गुलाल से खेली जाती है। हालांकि भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां पत्थर मारकर होली खेली जाती है। यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन ये सच है और आज भी ये होली खेली जाती है। यह परंपरा सालों पुरानी है।

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पत्थर मारकर खेली जाती है होली 

राजस्थान के वागड़, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बारां समेत कई जिलों में पत्थर वाली होली खेली जाती है। यह होली ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में खेली जाती है। यह होली इतनी आसान नहीं होती है चोट लगने की संभावना अधिक होती है। इस दौरान लोग एक दूसरे पर पत्थर फेकते हैं और ढाल से खुद का बचाव भी करते हैं।

होली में पत्थर लगने से घायल होने पर जब खून जमीन पर गिरता है तो ऐसी मान्यता होती है कि इससे कोई विपत्ति नहीं आती है। बताया जाता है कि पत्थरों वाली यह होली ज्यादातर आदिवासी समाज से जुड़े लोग खेलते हैं। ढोल की धुन पर पत्थर फेंके जाते है, हालांकि पत्थरों का आकार छोटा है। इस होली में कई लोग घायल जरूर होते हैं लेकिन इस बात का ख्याल भी रखा जाता है कि गम्भीर स्थिति ना पैदा हो।

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400 साल पुरानी है परंपरा

बताया जाता है कि पत्थर से होली खेलने की परंपरा 400 साल से भी पुरानी है। पत्थर मारकर होली खेले जाने की इस प्रथा को राड़ कहा जाता है। लोग एक साथ एकत्रित होते हैं और पूजा पाठ के बाद पत्थर से होली खेलने की शुरुआत होती है। इस होली को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

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कहा जाता है कि यह होली बड़ी दिलचस्प होती है इसलिए दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं। इस दौरान कई लोग घायल होते हैं और खून तक निकल जाता है, जिसे शुभ माना जाता है। ये होली करीब 3 घंटे तक चलती है। कई बार इस होली को देखकर लोग डर जाते हैं और वहां से चले जाते हैं।

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