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'मुजे कपुटर आता है..', ये हाल है पोस्‍ट मास्‍टर की ह‍िंदी का! डाक बाबू का लेटर वायरल, नौकरी पर उठे सवाल

Uttrakhand News : उत्तराखंड में डाक विभाग में नौकरी पाने वाले एक शख्स द्वारा लिखे गए पत्र का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पत्र पढ़कर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर इसे नौकरी कैसे मिली?
12:51 PM Nov 09, 2024 IST | Avinash Tiwari
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Uttrakhand News : एक शख्स परीक्षा देकर नौकरी पा गया, जॉइनिंग की तारीख आ गई। शख्स ज्वाइन करने के लिए पहुंचा तो उसे एक साधारण सा पत्र लिखने के लिए कहा गया। शख्स ने पत्र में जो कुछ भी लिखा, उसे पढ़कर माथा पकड़ने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर इसे नौकरी मिली तो मिली कैसे? मामला उत्तराखंड के पौड़ी का बताया जा रहा है।

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मामला उत्तराखंड में डाक सेवकों की भर्ती से जुड़ा हुआ है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें डाक सेवकों का हिंदी और गणित का सामान्य ज्ञान भी नहीं है। डाक सेवकों का चयन 10 वीं की मेरिट के आधार पर हुआ है, चयनित अधिकतर डाक सेवकों के 10 वीं में 90 प्रतिशत अंक हैं। ऐसे ही एक शख्स का वीडियो वायरल हो रहा है जिसकी पूरी कहानी सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

हिंदी 95 नंबर और एक लाइन भी ठीक नहीं!

एक डाक सेवक के पद पर चयनित उम्मीदवार जब ज्वाइनिंग के लिए पहुंचा तो सही से हिंदी भी नहीं लिख पाया। हैरानी की बात ये है कि हिंदी में उसके 95 अंक हैं। बताया जा रहा है कि ये शख्स पोस्ट मास्टर के पद पर नियुक्ति लेने के लिए हरियाणा से आया था, जिसके द्वारा लिखे गए पत्र को पढ़कर आप अपना माथा पकड़ लेंगे।


शख्स ने पत्र में एक भी लाइन ऐसी नहीं लिखी है जो सही हो। हम यह भी कह सकते हैं कि पत्र में आपको सही शब्द खोजने के लिए मेहनत करनी पड़ सकती है। शख्स की जहां पोस्टिंग हो रही है, वहां का नाम, पद का नाम तक ठीक से नहीं लिखा है। अब उसका पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इस पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

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एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि इसे कहते हैं अंधेर नगरी, पढ़े लिखे लोग दर दर की ठोकरें खा रहे हैं और हिंदी में 95 नंबर लाने वालों से दो शब्द शुद्ध नहीं लिखे जा रहे। एक अन्य ने लिखा कि उत्तराखंड में अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत लागू होती है, पोस्ट मास्टर हिन्दी में नहीं लिख पा रहा है और नंबर मार्कशीट में 100/95 है न हद। एक अन्य ने लिखा कि इन महान विभूति का चयन करने वाला भी उतना ही महान रहा होगा। कितने योग्य लोग भरे पड़े हैं मौका नहीं मिल रहा और ऐसे लोगों की नियुक्ति हो जा रही है जिन्हें लिखना तक नहीं आता।

 

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