जयंत चौधरी लगातार बढ़ा रहे अखिलेश यादव की टेंशन, RS से 'गायब' होने पर भी उठे सवाल
UP Politics: राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी का दिल्ली सर्विस बिल पर बतौर राज्यसभा सदस्य वोट नहीं देना कई सवाल खड़े कर गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि वह आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर INDIA से छिटककर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पाले में जा सकते हैं। यह महज संयोग है या फिर कुछ और, लेकिन जयंत चौधरी बुधवार को भी राज्यसभा में नहीं हैं। इसने अखिलेश यादव की चिंता जरूर बढ़ाई है।
इस संभावना को तब और बल मिला जब जयंत दिल्ली सर्विस बिल पर वोटिंग के दौरान राज्यसभा से अनुपस्थित रहे। अगर जयंत पाला बदल रहे हैं या बदलने की सोच रहे हैं तो यह लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के लिए बुरी खबर है। यह अलग बात है कि रालोद के प्रवक्ता अनिल दुबे ने सफाई देते हुए कहा कि जयंत की पत्नी बीमार थी, इसलिए वोट करने नहीं जा सके।
मुंबई की बैठक में रहेंगे मौजूद
राज्यसभा में रालोद मुखिया जयंत चौधरी की अनुपस्थिति को लेकर जारी कयास के बीच आरएलडी की तरफ से आधिकारिक तौर पर ऐसी किसी संभावना को नकारा गया है। इसके साथ कहा गया है कि पत्नी की तबीयत खराब होने और अस्पताल में होने की वजह से जयंत चौधरी मतदान करने राज्यसभा नहीं जा सके। इसके साथ ही पार्टी की ओर से यह भी कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने का कोई एंगल नहीं है। पार्टी की ओर से यह भी दावा किया गया है कि INDIA की मुंबई में होने वाली बैठक में मौजूद रहेंगे।
अखिलेश का साथ छोड़ चुके हैं ओपी राजभर
बावजूद इसके सवाल अब भी उठ रहा है कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर का साथ छोड़ने के बाद अब राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी भी उसी राह पर चलते दिखाई पड़ रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो यह अखिलेश यादव और विपक्षी गठबंधन दोनों के लिए अच्छा नहीं है।
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अखिलेश यादव अपने सहयोगी जयंत चौधरी के साथ मिलकर अगला लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना संजोए हुए हैं। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि राष्ट्रीय लोकदल का प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में है। ऐसे में जाट, मुस्लिम और दलित गठजोड़ के सहारे INDIA गठबंधन को कई सीटों पर जीत मिल सकती है।
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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जातीय समीकरण को देखते हुए रालोद मुखिया ने INDIA से 12 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जताई है, जबकि अखिलेश यादव सिर्फ 8 सीटों पर सहमत हैं। ठीक ऐसे ही कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से जयंत चौधरी को तीन सीटों का ऑफर दिया गया है, वहीं वह चार सीटों पर अड़े हैं। भाजपा का यह भी कहना है कि जो 3 सीटें जयंत को ऑफर की गई हैं, उन पर जीत तय है।