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रेप के आरोप अवैध हो सकते हैं, पढ़ें इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला

Allahabad High Court Rape Case Verdict: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म केस में आरोपी युवक के पक्ष में बेहद अहम फैसला सुनाया है। एक बच्ची की मां ने उस पर FIR दर्ज कराई थी, लेकिन हाईकोर्ट की जांच और पूछताछ में मामला कुछ और ही निकला।
10:56 AM May 12, 2024 IST | Khushbu Goyal
रेप के आरोप अवैध हो सकते हैं  पढ़ें इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला
हाईकोर्ट ने रेप केस में अहम फैसला सुनाते हुए आरोपी को राहत प्रदान की है।

Allahabad High Court Rape Case Verdict: दुष्कर्म के आरोप अवैध हो सकते हैं। क्योंकि रेप नहीं हुआ होता और आरोप लगा दिए जाते हैं, इस वजह से लड़की खुद परेशान होती है, दूसरों को भी बेवजह परेशानी होती है। ऐसे में अगर दुष्कर्म हुआ ही नहीं तो दुष्कर्म होने के आरोप लगाना भी अवैध है।

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यह फैसला उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया है, साथ ही रेप केस भी खारिज कर दिया गया है। जस्टिस राजीव मिश्र की पीठ ने फैसला सुनाया। बुलंदशहर के पहासू थानाक्षेत्र निवासी संजय गौड़ ने आपराधिक पुनर्निरीक्षण याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करने के बाद अहम फैसला जस्टिस ने सुनाया।

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फैसले में एक्सप्लेन की गईं रेप की धाराएं

जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि अगर रेप हुआ है तो यह IPC की धारा 375 के तहत अपराध है। अगर रेप नहीं हुआ है तो यहा धारा 376AB के तहत अपराध नहीं है। मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता ने रेप के आरोप भी नहीं लगाए, फिर भी युवक के खिलाफ IPC की धारा 376AB/511, 504 और पाक्सो एक्ट की धारा 9M/10 के तहत FIR दर्ज कर दी गई, जो खारिज की जाती है।

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आरोपी युवक ने भी अपने बयान में यही कहा कि उसने बच्ची को हाथ तक नहीं लगाया, इसलिए उसके खिलाफ रेप का केस नहीं बनता। मजिस्ट्रेट के सामने भी बच्ची ने रेप या किसी तरह की गलत हरकत की बात नहीं कही।

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मां ने बच्ची का मेडिकल नहीं कराया था

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट में याचिका दायर करके युवक के खिलाफ धारा 376AB के तहत लगाए गए आरोपों को चुनौती दी गई थी। याची ने अपनी सफाई में बताया कि न बच्ची ने रेप होने की बात कही। न उसकी मां ने अपने बयान में रेप होने की बात कही। मां ने अपनी बच्ची का मेडिकल कराने से भी मना कर दिया था।

ऐसे में उस पर लगाए गए आरोप झूठे और निराधार है। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में जो रेप के आरोप लगाए हैं, वह खुद से बनाए गए हैं। इसलिए याचिका दायर करके आरोपों की वैधता को चुनौती दी गई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपों को खारिज कर दिया गया।

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