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क्रिकेट खेलते रहे डॉक्टर, रोते माता-पिता को टरकाता रहा स्टाफ? बदायूं में बुखार से पीड़ित बच्ची की मौत

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बदायूं में डॉक्टरों के ऊपर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे हैं। परिजन एक बच्ची के इलाज के लिए यहां के मेडिकल कॉलेज में भटकते रहे। लेकिन एक खास वजह से बच्ची का इलाज नहीं हो सका। आरोप है कि स्टाफ के लोग परिजनों को इधर-उधर टरकाते रहे। विस्तार से मामले के बारे में जानते हैं।
10:30 PM Oct 23, 2024 IST | Parmod chaudhary
क्रिकेट खेलते रहे डॉक्टर  रोते माता पिता को टरकाता रहा स्टाफ  बदायूं में बुखार से पीड़ित बच्ची की मौत

Badaun News: उत्तर प्रदेश के बदायूं में डॉक्टरों की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। यहां के मेडिकल कॉलेज में एक बच्ची की बुखार की वजह से जान चली गई। बच्ची के परिजनों ने आरोप लगाया है कि राजकीय मेडिकल कॉलेज में उनकी बेटी को उपचार नहीं मिला। स्टाफ के लोग उनको एक से दूसरे कमरे में टरकाते रहे। माता-पिता रोते रहे, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। मासूम ने उनकी आंखों के सामने दम तोड़ दिया। डॉक्टर क्रिकेट मैच खेलने में व्यस्त थे। रोते-बिलखते परिजनों का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।

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पीड़ित नाजिम ने बताया कि वह मूसाझाग इलाके के थलियानगला गांव का रहने वाला है। उसकी पांच साल की बेटी शौफिया को बुखार आया था। उन लोगों ने बच्ची को इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया था। यहां बच्ची की हालत बिगड़ गई, वहां डॉक्टर ने उन लोगों को हायर सेंटर में इलाज करवाने की सलाह दी। बुधवार को परिजन बच्ची को लेकर बदायूं मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। पिता ने रोते हुए बताया कि बच्ची को दिखाने के लिए वे लोग डॉक्टर के पास गए। लेकिन वहां मौजूद स्टाफ उन्हें इधर-उधर के कमरों में भेजता रहा। कभी किसी विभाग में भेजा जाता तो कभी किसी रूम में। काफी देर वे लोग बाल रोग विभाग के सामने गिड़गिड़ाते रहे। इसी भागदौड़ में उनकी बेटी ने दम तोड़ दिया।

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सीएमएस का दावा, ड्यूटी पर थीं डॉक्टर

पिता ने आरोप लगाया कि डॉक्टर क्रिकेट मैच खेलते रहे। जब उन लोगों ने डॉक्टरों के बारे में स्टाफ से पूछा तो जवाब मिला कि डॉक्टर साहब अभी क्रिकेट खेलने में व्यस्त हैं। खेलने के बाद ही लौटेंगे। इसके बाद बच्ची का इलाज होगा। इसी बीच उनकी बेटी की मौत हो गई। इस मामले में सीएमएस डॉ. अर्शिया मसूद का बयान सामने आया है। उनका कहना है कि वे किसी सरकारी काम से बाहर गई थीं। बच्ची को बाल रोग विभाग तक लाया ही नहीं गया। वहां बाल रोग विशेषज्ञ अपनी ड्यूटी पर मौजूद थीं। जो डॉक्टर क्रिकेट खेल रहे थे। उनका बच्ची के इलाज से कोई लेना-देना नहीं था। बच्ची का इलाज तो बाल रोग विशेषज्ञ को करना था।

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