कहीं भाग न जाए बेटी, इसलिए करा दे रहे शादी! यूपी के इस जिले में तेजी से बढ़ रहे बाल विवाह के केस
उत्तर प्रदेश में एक जिला है सोनभद्र जिसे भारत की एनर्जी कैपिटल भी कहा जाता है। लेकिन, आज कल यह जिला एक अलग और बेहद गलत वजह के चलते चर्चा में आया है। दरअसल, यहां बाल विवाह के मामले इस समय तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग अपने बेटियों की शादी नाबालिग अवस्था में ही कर दे रहे हैं। जबकि बाल विवाह समाज के लिए एक कुप्रथा है। अप्रैल 2024 से अबतक 20 ऐसे शादियों को जिला बाल संरक्षण ईकाई की टीम ने पहुंचकर रूकवाया है। हालांकि, ऐसा वह किसी दबाव में नहीं बल्कि मजबूरी वश करते हैं।
सोनभद्र एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है जहां बाल विवाह प्रथा आज भी है। यहां के आदिवासी लोग अपनी बहन-बेटियों की शादी नाबालिग रहते हुए ही कर देते हैं। ऐसा वह समाज में बदनामी के डर से करते हैं। दरअसल आदिवासी समाज में यह देखा जा रहा है कि 15 से 17 वर्ष की उम्र के आसपास की लड़कियां दूसरे युवकों के साथ भाग जा रही हैं। इससे समाज में उनके परिवार वालों की बेइज्जती हो रही है। इसी बदनामी के डर की वजह से वे लोग कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दे रहे हैं। हाल के दिनों में ऐसे मामले बढ़े हैं।
क्यों बढ़ रहा है बाल विवाह?
बाल विवाह बढ़ने में जागरूकता और शिक्षा की कमी साफ देखी जा सकती है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी समाज निवास करता है। दुरूह क्षेत्रों में जागरूकता और शिक्षा का प्रचार प्रसार कम है। यहां के दुद्धी क्षेत्र निवासी एक युवक का कहना है कि उनकी बहन का दूसरे युवक से प्रेम प्रसंग था इसलिए हम लोग उसका विवाह कर रहे थे। लेकिन, सूचना पर पहुंची बाल संरक्षण इकाई की टीम ने न सिर्फ विवाह को रुकवाया बल्कि लड़की को नारी निकेतन भेज दिया। प्रशासन का कहना है कि इसे लेकर सख्त रुख अपनाया जा रहा है।
हर साल बढ़ते जा रहे मामले
बता दें कि साल 2021 में विभाग के सामने बाल विवाह के 7 मामले आए थे। एक साल बाद यानी 2022 में ऐसे मामलों की संख्या 15 हो गई। वहीं, साल 2023 में बाल विवाह के 38 मामले सामने आए थे। प्रशासन के अनुसार इस तरह की घटना की जानकारी मिलने पर विवाह रुकवाया जाता है और नाबालिग लड़की को नारी निकेतन भेज दिया जाता है। बाद में बाल संरक्षण इकाई उसके परिवार के साथ काउंसिलिंग करती है और सब ठीक होने पर लड़की को उसके परिवार वालों को सौंप देती है। इसे रोकने की कोशिशें की जा रही हैं।
बाल संरक्षण इकाई के अध्यक्ष अमित चंदेल बताते हैं कि बाल विवाह सामाजिक अपराध है। 21 वर्ष से कम आयु के बालक और 18 वर्ष से कम की बालिकाओं का विवाह बाल विवाह में आता है जो सामाजिक रूप से निंदनीय और कानूनी अपराध है। उन्होंने कहा कि स्पॉन्सरशिप योजना के तहत बाल विवाह से मुक्त कराए गए बालक बालिकाएं 4000 रुपये प्रति माह के लिए आवेदन कर सकते हैं। बाल विवाह का पता चलने पर लड़की को रेस्क्यू कर बालिका गृह में रखा जाता है। जांच पूरी होने पर परिवार को अपडेट कराया जाता है।
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