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31 साल के बाद परिवार से मुलाकात, भीम सिंह या मोनू शर्मा की सच्चाई क्या? जिसमें उलझी दो राज्यों की पुलिस

UP Uttarakhand News : व्यक्ति एक और परिवार दो की कहानी में यूपी और उत्तराखंड की पुलिस उलझ गई है। एक व्यक्ति ने दो राज्यों में अलग-अलग कहानी बताकर परिवार से बिछड़ने की बात कही। सबसे बड़ी बात यह है कि दो परिवारों ने उसे अपना भी लिया।
09:56 AM Dec 01, 2024 IST | Deepak Pandey
31 साल के बाद परिवार से मुलाकात  भीम सिंह या मोनू शर्मा की सच्चाई क्या  जिसमें उलझी दो राज्यों की पुलिस
एक व्यक्ति के पीछे दो राज्यों की पुलिस हैरान।

UP Uttarakhand News : एक लापता व्यक्ति ने दो राज्यों की पुलिस को उलझन में डाल दिया। उसका नाम भीम सिंह है या मोनू शर्मा। उसकी कहानी चमत्कारिक रूप से अपने परिवार से फिर से मिल गई- पहले देहरादून में और फिर गाजियाबाद में। सालों की गुमनामी के बाद सामने आए व्यक्ति की कहानी सच है या नहीं, इस पहेली को उत्तराखंड और यूपी पुलिस निपटाने में जुटी है। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला?

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तीन दिन पहले राजू उर्फ भीम सिंह नाम के एक व्यक्ति गाजियाबाद थाने पहुंचा और दावा किया कि 31 साल पहले जब वह आठ साल का था, तब उसका अपहरण हो गया था। कई सालों तक वह राजस्थान में बंधक रहा और किसी तरह से वहां से बचकर निकला। इस मामले की जांच के बाद पुलिस ने उस व्यक्ति को उसके परिवार से मिला दिया। परिवार ने अपने बेटे भीम सिंह का स्वागत किया। अब इस मामले में एक नई कहानी सामने आई है।

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व्यक्ति ने देहरादून में भी परिवार से बिछड़ने की कही थी बात

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गाजियाबाद में भीम सिंह के परिवार से मिलन की तस्वीर सामने आने के बाद उत्तराखंड में हड़कंप मच गया। पांच महीने पहले इसी व्यक्ति ने देहरादून में अपना नाम मोनू शर्मा बताया था और एक अन्य परिवार से बिछड़ने की बात कही थी। वहां बुजुर्ग माता-पिता ने उस समय मोनू शर्मा को अपना बेटा मान लिया था, जो 9 साल की आयु में लापता हो गया था और करीब 16 साल तक गायब रहा। भीम सिंह या मोनू शर्मा की असली पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।

जानें क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि जुलाई की शुरुआत में उस व्यक्ति ने देहरादून पुलिस को अपना नाम मोनू शर्मा बताया था। उसने अधिकारियों को बताया कि उसे अज्ञात व्यक्तियों ने अगवा कर लिया था, जो उसे राजस्थान ले गए थे। उसने दावा किया कि वहां उसे एक चरवाहे के परिवार के लिए बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था। उत्तराखंड के एक ट्रक चालक ने उसे बचाया था, जो मवेशी खरीदने के लिए उस इलाके में आया था। व्यक्ति की तस्वीर सामने आने के बाद देहरादून के पटेल नगर की रहने वाली बुजुर्ग आशा शर्मा ने उसकी पहचान अपने बेटे के रूप में की और उसे घर लेकर आई।

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इस मामले में उलझी पुलिस

गाजियाबाद और देहरादून में परिवार से बिछड़ने की बात कहने वाला व्यक्ति तो एक ही है। अब बड़ा सवाल उठता है कि वह वास्तव में कौन है? कोई नहीं जानता। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है, ताकि एक पहेली का जवाब मिल सके, जिसने दो राज्यों के पुलिसकर्मियों और यूपी-उत्तराखंड दोनों के परिवारों को हैरान कर दिया है।

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