यूपी के इस जिले में 5 दिन तक मारा जाता है रावण, पान खिलाने की भी अनोखी परंपरा; जानें वजह
Dussehra News: यूपी के बांदा जिले में दशहरा महापर्व का आयोजन लगातार 5 दिन तक होता है। बांदा शहर के लोगों में 5 दिन तक उत्साह कम नहीं होता। भारत में ऐसा आयोजन कहीं और नहीं होता। अधिकांश जगहों पर दशहरे का त्योहार सिर्फ एक ही दिन मनाया जाता है। लेकिन बांदा में पांचों दिन अलग-अलग जगहों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है। जहां वध के बाद रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले फूंके जाते हैं। इसके बाद लोग घर-घर जाकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं। पांच दिन तक दशहरा मिलन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
प्रागी तालाब से होती है शुरुआत
सबसे पहले महापर्व की शुरुआत प्रागी तालाब से होती है। जहां आज ये प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब प्रत्येक दिन शहर के अलग-अलग मोहल्लों और इलाकों में रावण वध को लेकर रामलीलाओं का आयोजन किया जाएगा। पहले दिन की बात करें तो अधिक आयोजन मढ़िया नाका, छोटी बाजार, बन्योटा और खुटला जैसे इलाकों में होते हैं। वहीं, इसके बाद खाईपार, अलीगंज, बाबूलाल चौराहा जैसे मोहल्लों में भी कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
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तीसरे दिन दशहरा महापर्व नाई समाज रामलीला समिति द्वारा मानिक कुइयां के मैदान में मनाया जाता है। जहां रावण वध के बाद दशहरा मिलन समारोह आयोजित किया जाएगा। इसी दिन बलखंडी नाका, कटरा और नोनिया मुहाल जैसी जगहों पर पर्व मनाया जाएगा। चौथे दिन सिविल लाइन इलाके के जहीर क्लब मैदान में रामलीला के बाद रावण वध होगा। इसके बाद शहर के इंदिरा नगर, स्वराज कॉलोनी और सर्वोदय नगर जैसे इलाकों में दशहरा की धूम देखने को मिलेगी।
The word “Dussehra” is derived from the Sanskrit words “Dasha” (meaning ten) and “Hara” (meaning defeat), referring to the victory of Lord Rama over the ten-headed demon king, Ravana. The festival also marks the day when Goddess Durga defeated Mahishasura after a fierce battle… pic.twitter.com/wlBCNbQagB
— Kirkut Expert (@kirkut_expert1) October 12, 2024
कांशीराम कॉलोनी में बड़ा आयोजन
वहीं, सबसे अंत में आयोजन कांशीराम कॉलोनी किया जाएगा। पूरी कॉलोनी में दशहरे के त्योहार पर उत्सव दिखता है। लोगों एक-दूसरे के गले लगते हैं। घर-घर जाकर बधाई देते हैं। इस पर्व पर एक दूसरे को पान भेंट करते हैं। कई प्रकार के पकवान घरों में बनाए जाते हैं। लोग एक-दूसरे से मतभेद भुला देते हैं। इस पर्व को भाईचारे का प्रतीक माना जाता है।
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