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Hathras Stampede: सरकारी 'चूक' न होती तो बच सकती थीं काफी जिंदगियां, लापरवाही का ऐसा था मंजर

Hathras Stampede News: हाथरस सत्संग कांड में घोर प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई है। अधिकारियों, डॉक्टरों और एंबुलेंस की कमी नहीं होती तो काफी लोगों को बचाया जा सकता था। प्रत्यक्षदर्शियों ने भी पुलिस पर ठीकरा फोड़ा है। बताया जा रहा है कि शवों को टेंपो में भरकर मुर्दाघर तक लाया गया।
07:25 PM Jul 02, 2024 IST | Parmod chaudhary
Hathras stampede
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Uttar Pradesh Stampede: उत्तराखंड के हाथरस में भगदड़ के बाद प्रशासन की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। लोगों के मुताबिक हादसा होने के बाद कई देर तक न तो कोई अधिकारी मौके पर आया, न ही किसी सीनियर डॉक्टर ने लोगों की सुध ली। लोगों की लाशें काफी देर तक पंडाल में ही पड़ी रहीं। लोगों ने खुद टेंपो और दूसरे वाहनों के जरिए लाशों को मोर्चरी तक पहुंचाया। अगर मौके पर एंबुलेंस होती तो काफी लोगों को बचाया जा सकता है। आयोजकों ने सत्संग में संसाधनों का बेहतर इंतजाम किया होता तो काफी जानों को बचाया जा सकता था।

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एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक पुलिस प्रशासन ने भी हादसे को लेकर लापरवाही बरती। मौके पर बॉडी उठाने का काम देरी से शुरू किया। लोगों के मुताबिक अस्पताल में कई लोगों की हालत बेहद गंभीर है। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। पुलिस प्रशासन ने पंडाल वाले रास्ते पर दिन के समय बैरिकेडिंग हटा दी थी। रात को इसे बंद किया जाता था। जब वहां गाड़ियां आने लगीं तो लोग बचने के लिए दौड़े। जिससे भगदड़ मची और लोगों की जानें गईं।

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लोगों के मुताबिक उन्होंने एसडीएम को जानकारी दी थी कि यहां पर 3 घंटे से बत्ती गुल है। न ही किसी एंबुलेंस को भेजा गया है, न ही किसी डॉक्टर की तैनाती की गई है। मौके पर सिर्फ एक ही डॉक्टर बाद में आया। काफी देर बाद वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे। तब तक कई लोगों की मौत हो चुकी थी। खबर लिखे जाने तक 130 लोगों की मौत होने की जानकारी मिली है। हाथरस दुर्घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधी मॉनीटरिंग कर रहे हैं। ADG आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ को जांच के आदेश दिए गए हैं। अगले 24 घंटों में सीएम ने इसकी रिपोर्ट तलब की है।

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