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'ओल्ड पेंशन नहीं तो वोट नहीं', सरकार के पन्ने से क्यों गायब हो रहे कर्मचारी

Lok Sabha Election 2024 : देश में एक तरफ लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार चल रहा है तो दूसरी तरफ कर्मचारी संघ ने ओड पेंशन स्कीम की मांग तेज कर दी है। उन्होंने कहा कि ओल्ड पेंशन नहीं तो वोट नहीं। इसे लेकर उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लिया है।
10:35 PM Apr 14, 2024 IST | Deepak Pandey
 ओल्ड पेंशन नहीं तो वोट नहीं   सरकार के पन्ने से क्यों गायब हो रहे कर्मचारी
ओल्ड पेंशन नहीं तो वोट नहीं

Lok Sabha Election 2024 (मनोज पाण्डेय) : देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस बीच कर्मचारी संघ के नेताओं (अटेवा, सिंचाई विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग संघ, सचिवालय संघ) ने कहा कि हमारी पेंशन का मुद्दा गोल है तो उनका वोट गोल होगा।

कर्मचारी संघ के नेताओं ने अंबेडकर जयंती के मौके पर कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर साहेब ने संविधान के अंदर रहकर बिना मांगे हमलोग को पेंशन दी। तमाम राजनीतिक दलों का घोषणा पत्र आया, लेकिन दुर्भाग्य है कि हमसे पुरानी पेंशन छीनी जा रही है। सत्ता दल में पन्ना प्रमुख बनाए जाते हैं, लेकिन सरकार के पन्ने से कर्मचारी गायब हैं।

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नेता पेंशन लेंगे, लेकिन सैनिकों को नहीं देंगे

कर्मचारी संघ ने सोशल मीडिया एक्स पर कैम्पेनिंग चलाई है, जिसका हैशटैग ओपीएस इज आवर राइट, नो पेंशन जो वोट रखा गया है। उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक कर्मचारी एक हैं। पेंशन नहीं तो वोट नहीं। नेता पेंशन लेंगे, लेकिन देश के सैनिकों को पेंशन नहीं देंगे, ये कहां का न्याय है। जो हमारी बात करेगा हम उसकी बात करेंगे। हम कर्मचारी के साथ-साथ एक मतदाता भी हैं। आम जनता इस बार बोल नहीं रही है। संकेत साफ है, समझ लीजिए कि जनता कुछ सोच रही है, कुछ नया होने वाला है।

प्राइवेटाइजेशन खत्म हो

उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले दिल्ली में हमारी रैली का आयोजन हुआ। 15 लाख लोग आए। इसका मतलब मुद्दे में दम है। हम हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। ये पढ़ा लिखा बुद्धिजीवी समाज है। ओल्ड पेंशन इकोनॉमी को मजबूत करती है। धीरे-धीरे सभी विभागों को प्राइवेटाइजेशन किया जा रहा है, जिनको खत्म किया जाए।

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मंत्री-विधायकों के लिए सब सरकारी, लेकिन जनता के लिए सब प्राइवेट क्यों

कर्मचारी संघ ने कहा कि सरकार निजीकरण समाप्त करे। महंगाई बढ़ती जा रही है और सातवें वेतन आयोग के बाद आठवें वेतन आयोग पर रोक लगा दी गई। विधानसभा और संसद में अपना वेतन हाथ उठाकर बढ़ा लेते हैं। उस समय सभी नेता एक हो जाते हैं। एक तरफ कहा जाता है कि भारत दुनिया की तीसरी महाशक्ति बन रहा है तो दूसरी तरफ अग्निवीर ला रहे हैं। कर्मचारियों को देने के लिए पैसा नहीं हैं। ये सरकार का दोहरा रवैया है। जब मंत्री या विधायक बन जाते हैं तो नेताओं को बंगला, ड्राइवर, सुरक्षा, स्टाफ सब सरकारी चाहिए और देश की जनता के लिए सब प्राइवेट कर दिया।

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