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रेडियोएक्टिव मैटेरियल मानव शरीर पर कैसे डालता है असर? कौन सी बीमारियां होने का बढ़ता है खतरा

Lucknow Airport: लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव मटेरियल लीक होने की अफवाह से हर तरफ अफरातफरी मच गई। अलर्ट अलार्म बजने को वजह साफ करते हुए बाद में अधिकारियों ने कहा कि सिर्फ अलार्म बजा है किसी तरह का कोई लीकेज नहीं हुआ है।
05:25 PM Aug 17, 2024 IST | News24 हिंदी
रेडियोएक्टिव मैटेरियल मानव शरीर पर कैसे डालता है असर  कौन सी बीमारियां होने का बढ़ता है खतरा

Lucknow Airport: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव मटेरियल लीक होने की खबरें सामने आईं। हवाई अड्डे के मुख्य परिचालन अधिकारी ने बताया कि ''कैंसर रोगियों के लिए दवाओं से भरी एक खेप आई थी जिसके लिए हवाई अड्डे के कार्गो क्षेत्र में रेडियोधर्मी सामग्री के लिए अलार्म सक्रिय कर दिया। अलार्म का कारण जानने के लिए NDRF को बुलाया गया, जिसके विशेषज्ञों ने शिपमेंट को बताया, किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. वहीं, एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही पर असर नहीं पड़ा है.

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कितना खतरनाक होता है रेडियोएक्टिव मटेरियल?

रेडियोएक्टिव मटेरियल का इस्तेमाल चिकित्सा, कृषि के अलावा भी कई जगह पर किया जाता है। लखनऊ में जो रेडियोएक्टिव मटेरियल था वो भी कैंसर दवाईयों के इस्तेमाल के लिए था। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये रेडिएशन 3 तरह के होते हैं, अल्फा, बीटा और गामा। कई साल पहले दिल्ली एयरपोर्ट भी इस तरह का मटेरियल लीक हुआ था, जिसके पैकेट दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल के लिए तुर्की से आए थे।

जो दिल्ली में लीक हुआ था वो सोडियम आयोडाइड लिक्विड का पैकेट था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लिक्विड ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही पीला रंग अपना लेता है, साथ ही गामा किरणें रिलीज करता है। अगर इसको सही से सील ना किया जाए तो ये कई बीमारियों का कारण बन सकता है।

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ये भी पढ़ें: लखनऊ एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव लीक होने से मचा हड़कंप, 1.5 किमी. का एरिया खाली कराया

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हवा में फैलते ही सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करता है, या फिर खाने पीने की चीजों से भी ये शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके अलावा अगर शरीर में किसी तरह की खुली चोट लगी है तो उस घाव के जरिए भी शरीर में पहुंचता है। रेडियोएक्टिव बॉडी में रेसज, तेज खांसी और फेफड़े पर इसका सीधा असर कर सकता है, इतना ही नहीं इसका असर किडनी पर भी पड़ सकता है।

क्या हैं बचाव?

अगर आप हादसे वाली जगह पर हैं तो सबसे पहले अंडरग्राउंड कमरे में चलें जाएं। अगर ऐसी जगह ना मिले तो गड्ढा खोदकर उसमें छिपा जा सकता है। अगर गड्ढा भी न खोदा जा सके तो खिड़की दरवाजे बंद कर लें। पानी को उबालकर पीना चाहिए, कोई इसकी चपेट में आ चुका है तो उससे दूरी बनाकर रखें।

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