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मायावती का आखिरी दांव! यूपी में 9 सीटों के उपचुनाव में कैसे अलग है बसपा का प्लान

UP Bypolls: यूपी की सियासत में पस्त बसपा केंद्रीय राजनीति में भी हाशिए पर आ गई है। मायावती के लिए पार्टी काडर को फिर से एक्टिव कर पाना बहुत आसान नहीं है। कुर्मी, निषाद, राजभर, पटेल और जाट समुदाय की नई राजनीतिक लीडरशिप खड़ा होने के बाद बसपा के लिए चीजें आसान नहीं रही हैं। पार्टी को इस दौर में पीढ़ीगत बदलाव के लिए भी रास्ता बनाना है। यूपी का उपचुनाव आकाश आनंद का भी इम्तिहान है।
11:34 AM Oct 29, 2024 IST | Nandlal Sharma
मायावती का आखिरी दांव  यूपी में 9 सीटों के उपचुनाव में कैसे अलग है बसपा का प्लान
यूपी उपचुनाव की 9 सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी। फाइल फोटो

UP Bypolls: 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने कहा कि वे किसी भी बड़ी पार्टी और राष्ट्रीय पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले भी मायावती अपने स्टैंड पर कायम रहीं। 2022 के चुनाव में मायावती ने मुस्लिम-दलित समीकरण बनाने की कोशिश की, लेकिन ये दांव फेल रहा। 2024 के चुनाव के बाद तो उन्होंने सीधे तौर पर बसपा की असफलता के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहरा दिया। हरियाणा में मायावती ने इनेलो के साथ गठबंधन किया लेकिन ये दांव भी फेल रहा है और बसपा का हरियाणा में खाता नहीं खुला।

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बसपा के लिए खुलेगा रास्ता?

रिजल्ट के बाद मायावती ने खुलकर कहा कि जाट समाज का वोट पार्टी को नहीं मिला और इसलिए बसपा के उम्मीदवार हारे। उन्होंने भविष्य में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन से भी मना कर दिया। लेकिन यूपी चुनाव के लिए बसपा के उम्मीदवारों को देखें तो ऐसा लगता है कि मायावती अपने कोर वोट बैंक की तरफ लौट रही है और इसका नुकसान बीजेपी और सपा दोनों को हो सकता है। लेकिन इसमें एक खतरा है, अगर मायावती का कोर वोट बैंक उनकी पार्टी की तरफ नहीं लौटा तो फिर बसपा के लिए आगे का रास्ता बहुत मुश्किल हो जाएगा।

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बीजेपी का खेल बिगाड़ेंगी मायावती

यूपी उपचुनाव की 9 में 4 सीटें ऐसी हैं जहां मायावती का समीकरण बीजेपी के गले की फांस बन सकता है। इसके साथ ही पांच सीटों पर वह सपा का गणित भी बिगाड़ सकती हैं। बसपा ने चार सवर्ण उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनमें 2 ब्राह्मण, 1 राजपूत और एक वैश्य समुदाय का व्यक्ति है। सीसामऊ में बसपा ने वीरेंद्र कुमार शुक्ला को टिकट दिया है। वहीं बीजेपी ने सुरेश अवस्थी को उम्मीदवार बनाया है। सपा की उम्मीदवार नसीम सोलंकी हैं, जो मौजूदा विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी हैं। इरफान को अयोग्य ठहराए जाने के बाद ही इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है।

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मिर्जापुर की मझवां सीट पर बसपा ने दीपक तिवारी को उतारा है। कोशिश ब्राह्मण समुदाय में व्याप्त नाराजगी को कैश करने का है। प्रयागराज की फूलपुर सीट पर बीजेपी ने दीपक पटेल को टिकट दिया है। तो बसपा ने राजपूत उम्मीदवार जीतेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। सपा ने यहां से एक बार फिर मुज्तबा सिद्दीकी को मैदान में उतारा है। गाजियाबाद सदर से बीएसपी ने परमानंद गर्ग को टिकट दिया है। कोशिश वैश्य समुदाय के वोटरों को अपनी तरफ खींचने का है। गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां और सीसामऊ में मायावती की फील्डिंग बीजेपी को करारी चोट दे सकती है।

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बसपा के लिए करो या मरो की स्थिति

मायावती के इस दांव को कोर वोट बैंक के साथ उम्मीदवार के वोट को जोड़कर सियासी सफलता हासिल करने के तौर पर देखा जा रहा है। इस बीच मायावती ने करहल सीट से एक शाक्य उम्मीदवार को टिकट दिया है। ये वोट बैंक भी करहल में बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बीजेपी ने यहां से धर्मेंद्र यादव के जीजा अनुजेश यादव को टिकट दिया है, और सपा ने तेज प्रताप यादव को उतारा है। जाहिर है कि शाक्य उम्मीदवार को खड़ा करके बीएसपी ने दोनों पार्टियों को झटका देने की रणनीति बनाई है।

सपा के प्लान को सीधा चैलेंज

उपचुनाव की तीन अन्य सीटों पर बीएसपी उम्मीदवार सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी के प्लान को चैलेंज कर रहे हैं। ये सीटें हैं मुरादाबाद की कुंदरकी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर और अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट। कुंदरकी और मीरापुर सीट से बीएसपी ने मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। और कटेहरी में पार्टी ने कुर्मी समुदाय के अमित वर्मा पर भरोसा जताया है। वर्मा हाल ही में कांग्रेस से बसपा में शामिल हुए हैं। कटेहरी सीट पर अंबेडकरनगर से सपा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा चुनाव लड़ रही हैं।

यूपी उपचुनाव में बसपा के नेशनल को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद की भी परीक्षा होने जा रही है। लोकसभा चुनाव में तो मायावती ने आकाश आनंद को पीछे खींच लिया था, लेकिन देखना होगा कि आकाश आनंद उपचुनाव में बसपा का फिर से खड़ा करने के प्रयास में कितना कामयाब हो पाते हैं।

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