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महावीर चक्र विजेता नाना, उपराष्ट्रपति चाचा, 'डॉन' का खानदान जितना गौरवशाली, हरकतें उतनी काली

Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी कम्यूनिस्ट नेता थे। साल 1971 में वह निर्विरोध नगर पालिका चुनाव में चुने गए थे। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1947 में भारतीय सेना की तरफ से नवशेरा में जंग में हिस्सा लिया और शहीद हुए थे।
11:55 PM Mar 28, 2024 IST | Amit Kasana
महावीर चक्र विजेता नाना  उपराष्ट्रपति चाचा   डॉन  का खानदान जितना गौरवशाली  हरकतें उतनी काली
mukhtar ansari

Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी को जरूर लोग आज  माफिया और बाहुबली नेता के रूप में जानते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में उनके परिवार का गौरवशाली इतिहास रहा है। मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। वह साल 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। बताया जाता है कि वह महात्मा गांधी के भी बेहद करीबी थे।

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बेटा इंटरनेशनल खिलाड़ी 

गाजीपुर में उसके परिवार की राजनीति में अलग पहचान है। जानकारी के अनुसार मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी कम्यूनिस्ट नेता थे। साल 1971 में वह निर्विरोध नगर पालिका चुनाव में चुने गए थे। मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है। इसके अलावा मुख्तार नाना ब्रिगेडियर उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1947 में भारतीय सेना की तरफ से नवशेरा में जंग में हिस्सा लिया था और शहीद हुए थे।

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पूर्वांचल में था रसूख 

बताया जाता है कि पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी उनके रिश्ते में चाचा लगते हैं। हालांकि कभी दोनों की तरफ से इस बारे में कोई बयान नहीं आया। मुख्तार अंसारी का खुद पूर्वांचल में अपना रसूख था, यही वजह है कि वह पिछले 24 साल से किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से लगातार यूपी की विधानसभा में पहुंचते थे। जहां कुछ लोग उन्हें माफिया कहते हैं तो लोगों के लिए वह रॉबिन हुड थे, जो अमीरों से लूटकर गरीबों की मदद करता था।

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जेल में रहकर भी जीतते रहे चुनाव

जानकारी के अनुसार साल 1996 में मुख्तार अंसारी ने पहली बार बसपा की टिकट से मऊ विधानसभा से चुनाव लड़ा था और वह जीते थे। इसके अलावा वह साल 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ विधानसभा से लगातार चुनाव जीते। उन्होंने तीन चुनाव जेल के अंदर रहकर लड़े और जीते थे।

ये भी पढ़ें: जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मौत, मऊ-बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू

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