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नोएडा से अमेरिकंस को लगा रहे थे चूना, फर्जी कॉल सेंटर से 76 लड़के-लड़कियां गिरफ्तार

Uttar Pradesh Crime News: उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है। मामले में 76 लोगों को अरेस्ट किया गया है। इनमें 9 महिलाएं शामिल हैं। विस्तार से मामले के बारे में जानते हैं।
10:11 AM Dec 14, 2024 IST | Parmod chaudhary
नोएडा से अमेरिकंस को लगा रहे थे चूना  फर्जी कॉल सेंटर से 76 लड़के लड़कियां गिरफ्तार

Noida Crime News: उत्तर प्रदेश के नोएडा में फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश पुलिस ने किया है। मामले में 9 महिलाओं समेत 76 लोगों को अरेस्ट किया गया है। ये लोग अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी की वारदातों को अंजाम देते थे। लोगों को लोन प्रोसेस और तकनीकी सहायता के नाम पर फर्जी मैसेज और लिंक भेजे जाते थे। इस गिरोह के 4 सरगना कई बार पहले भी जेल जा चुके हैं। आरोपियों के पास से बड़ी मात्रा में लैपटॉप, हेडफोन और अमेरिकी बैंकों के फर्जी चेक बरामद किए गए हैं। DCP सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि पुलिस ने स्वॉट और सीआरटी की टीमों के साथ मिलकर रेड की थी।

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पहले भी जेल जा चुके हैं सरगना

सेक्टर-63 के E ब्लॉक में आरोपी इंस्टा सॉल्यूशन के नाम से फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे। आरोपियों ने 1500 अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी की वारदात कबूली हैं। पैसा बिट क्वाइन, गिफ्ट कार्ड आदि के जरिए लिया जाता था। आरोपी एक बार में 99 से 500 अमेरिकी डॉलर की ठगी करते थे। हवाला के जरिए भारत में पैसा ट्रांसफर किया जाता था। साइबर टीम आरोपियों से बरामद इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के डाटा की जांच कर रही है। पुलिस के अनुसार गिरोह को सौरभ राजपूत, कुरुनाल रे, साजिद अली और सादिक ठाकुर चलाते थे। चारों आरोपी गुजरात की जेल में बंद रह चुके हैं।

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आरोपी टेक सपोर्ट, माइक्रोसाफ्ट और पे डे के नाम पर लोगों से ठगी करते थे। कॉल सेंटर में कई सेक्शन बनाए गए थे, जहां स्काइप ऐप का यूज किया जाता था। आरोपी ग्राहकों को व्यक्तिगत डाटा खरीदने के बाद अमेरिकी लोगों के कंप्यूटर में बग भेजते थे। एक बार में 10 हजार लोगों को मैसेज जाता था। बग से कंप्यूटर में खराबी आने के बाद इसकी स्क्रीन नीली हो जाती थी। इसके बाद एक नंबर सामने वाले शख्स को दिखता था। उस पर कॉल करने के लिए कहा जाता था। जिसके बाद कॉल को अपने सर्वर पर लैंड करवाया जाता था। इसके बाद पीड़ित से 99 या इससे अधिक डॉलर की डिमांड खराबी ठीक करने के नाम पर की जाती थी।

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खुद को बताते थे माइक्रोसॉफ्ट अधिकारी

खुद को आरोपी माइक्रोसॉफ्ट का अधिकारी बताते थे। भुगतान के बाद एक कमांड पीड़ित को बताई जाती थी। जिससे कंप्यूटर सही हो जाता था। जिन लोगों को लोन की जरूरत होती थी, उनका डाटा साइटों से चोरी किया जाता था। जिसके बाद कॉल कर लोगों से 100 से 500 डॉलर की डिमांड की जाती थी। आरोपी विदेशी नागरिकों को पार्सल के नाम पर वॉइस नोट भी भेजते थे। अगर ग्राहक पार्सल मंगवाने से इनकार करता तो उसे अकांउट चोरी होने के बहाने डराया जाता था। नया अकाउंट बनाने के नाम पर पैसा मांगा जाता था।

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