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सिर्फ दो परिवारों की लड़ाई में जल उठा संभल! जानें सालों पुरानी क्या है दुश्मनी?

UP Sambhal Violence : यूपी का संभल जिला हिंसा की आग में जल उठा। इसके पीछे की मुख्य वजह राजनीतिक और पारिवारिक लड़ाई बताई जा रही है। दशकों से दो परिवारों में वर्चस्व की लड़ाई चली आ रही है और दोनों एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन माने जाते हैं।
08:21 PM Nov 28, 2024 IST | Deepak Pandey
सिर्फ दो परिवारों की लड़ाई में जल उठा संभल  जानें सालों पुरानी क्या है दुश्मनी
Sambhal Violence (File Photo)

UP Sambhal Violence : उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद सर्वे पर बवाल मच गया। लोगों की भीड़ में मौजूद उपद्रवियों ने पथराव और फायरिंग करके हिंसा भड़का दी। इस दौरान अराजक तत्वों ने पुलिस टीम को अपना निशाना बनाया और कई गाड़ियों में आग लगा दी। इस मामले में पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया और नकाबपोश उपद्रवियों की तस्वीरें जारी कीं। अब बड़ा सवाल उठता है कि संभल क्यों जल उठा?

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यूपी के संभल जिले में सांसद जियाउर्रहमान बर्क के दादा पूर्व सांसद स्व. डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क और सदर विधायक नवाब इकबाल महमूद के बीच सालों से रंजिश चल रही है। दोनों परिवारों की दशकों पुरानी पारिवारिक और राजनीतिक रंजिश जगजाहिर है। शफीकुर्रहमान के निधन के बाद जियाउर्रहमान बर्क ने लोकसभा चुनाव के दौरान पुरानी दुश्मनी को भुलाते हुए विधायक नवाब इकबाल महमूद से हाथ मिला लिया था। तब से माना जा रहा था कि दोनों के बीच मतभेद खत्म हो गया, लेकिन पुलिस की एफआईआर में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल का नाम है।

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दोनों परिवारों के बीच राजनीतिक रंजिश भी

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का संभल जिला करीब तीन दशक से समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है। 1980 के दशक से बर्क और महमूद दोनों परिवार अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते रहे हैं और वे 1990 के दशक से सपा से जुड़े हैं। इस साल फरवरी में पूर्व सपा नेता शफीकुर्रहमान बर्क का निधन हो गया था। वे पिछली लोकसभा के सबसे बुजुर्ग सांसद थे। वे संभल से चार बार विधायक और पांच बार लोकसभा सांसद रहे, जिसमें दो बार संभल से और तीन बार मुरादाबाद से सांसद थे। वहीं, 71 वर्षीय महमूद संभल से सात बार से विधायक और पूर्व मंत्री हैं, जो 1996 से लगातार सपा के टिकट पर सीट जीतते आ रहे हैं। उन्होंने 1991 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता था।

चुनावों में शफीकुर्रहमान ने महमूद को हराया

1989 में जनता दल के उम्मीदवार के तौर पर शफीकुर्रहमान ने संभल सीट पर महमूद को हराया था, जो उस समय कांग्रेस के साथ थे। 1985 के चुनाव में भी उन्होंने लोकदल के उम्मीदवार के तौर पर महमूद के पिता महमूद हसन खान को हराया था, जो निर्दलीय के तौर पर लड़े थे। इसे लेकर सपा के एक नेता ने बताया कि इकबाल महमूद और शफीकुर्रहमान बर्क के परिवारों के बीच संभल में राजनीतिक प्रभाव को लेकर तीन दशकों से टकराव चल रहा था। वे संभल विधानसभा और लोकसभा सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ कई बार चुनाव लड़ चुके हैं।

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सपा ने रंजिश की वजह से हिंसा भड़के की बात से किया इनकार

कुछ भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि संभल के दो सपा नेताओं के बीच झगड़ा 'तुर्क बनाम पठान' की तर्ज पर था, जिसमें जिया और महमूद क्रमशः तुर्क और पठान समुदायों से तालुल्क रहते हैं। समाजवादी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बीच जारी जाति संघर्ष ही संभल हिंसा की मुख्य वजह है।

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