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दिल्ली किसी की सुनती नहीं...क्या केशव मौर्या की सुनी जाएगी? सियासी उठापटक के बाद अब फैसले का इंतजार

Tussle in UP BJP: यूपी में बीजेपी की खींचतान के बीच बुधवार को केशव प्रसाद मौर्या वापस लखनऊ लौट आए हैं। इस बीच उनके बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। कोई इसे सियासी उठापटक से जोड़ रहा है तो कुछ लोग इसे संगठन और सरकार में बदलाव की आहट बता रहे हैं। कुल मिलाकर इसका नतीजा जो भी हो लेकिन इतना तो तय है कि संगठन में बदलाव कुछ समय में देखने को मिल सकता है।
09:22 AM Jul 18, 2024 IST | Rakesh Choudhary
दिल्ली किसी की सुनती नहीं   क्या केशव मौर्या की सुनी जाएगी  सियासी उठापटक के बाद अब फैसले का इंतजार
यूपी की सियासी उठापटक पर पीएम मोदी करेंगे फैसला

UP Political Crisis: लोकसभा चुनाव 2024 तक यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक चल रहा था। पीएम मोदी अपनी रैलियों में सीएम योगी की भरपूर तारीफें करते हैं। फिर आती है 4 जून की तारीख यानी लोकसभा चुनाव के नतीजों का दिन। बीजेपी 303 सीटों से सिमटकर 240 पर आ जाती है। सबसे ज्यादा नुकसान होता है यूपी में। पार्टी 63 से 33 सीटों पर आकर सिमट जाती है। इसके बाद हार के कारण तलाशे जाते हैं। इस बीच 14 जुलाई को लखनऊ में पार्टी की कोर कमेटी की बैठक बुलाई जाती है। बैठक में अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई यूपी की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी भी मौजूद रहते हैं।

इस दौरान डिप्टी सीएम केशव मौर्या बयान देकर कहते हैं कि सरकार से बड़ा संगठन होता है। इसके बाद से ही लखनऊ से दिल्ली तक सियासी अटकलबाजियों का दौर जारी है। राजनीति विश्लेषक इसको लेकर अलग-अलग कयास लगा रहे हैं। इस सबके बीच पहले इस सियासी उठापटक का लेटेस्ट अपडेट भी जान लीजिए। बुधवार को यूपी बीजेपी के चीफ भूपेंद्र चौधरी ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने दोनों शीर्ष नेताओं को मौजूदा खींचतान और लोकसभा चुनाव में पार्टी के लचर प्रदर्शन को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी।

क्या इसलिए हारे लोकसभा चुनाव?

इधर सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी बुधवार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात की। इससे पहले सीएम योगी ने भी उपचुनाव को लेकर मंत्रियों के साथ बैठक की। सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि एक सख्त प्रशासक की मानी जाती है। इस बीच ऐसा क्या हुआ कि यूपी में बीजेपी के सहयोगी ही पार्टी से नाराज है। लखनऊ में कोर कमेटी की बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने यह कहकर सियासी शिगूफा छेड़ दिया कि संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है। जबकि इसमें कोई दोराय नहीं है। लेकिन केशव प्रसाद मौर्या भी सरकार में शामिल है। ऐसे में उनका ये बयान समझ से परे था। हालांकि उन्होंने इशारों-इशारों में मुखिया का समझा दिया कि कार्यकर्ता ही पार्टी के लिए सब कुछ होता है। ऐसे में कार्यकर्ताओं की नाराजगी को उन्होंने सबसे पहले सबके सामने रखा। उनका इशारा यूपी लोकसभा चुनाव में मिली हार को लेकर था। उनके अनुसार कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता और नाराजगी के कारण पार्टी को प्रदेश में करारी हार का सामना करना पड़ा।

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बयान की असल वजह कहीं ये तो नहीं

केशव प्रसाद मौर्या यह बयान देकर भूपेंद्र चौधरी के साथ दिल्ली आ गए। दिल्ली में वे 2 दिनों डेरा डाल के जमे रहे। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर जेपी नड्डा से मुलाकात की। हालांकि इस दौरान वे अमित शाह और पीएम मोदी से नहीं मिले। ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या केशव मौर्या संगठन को सरकार से बड़ा बताकर स्वयं अपनी जवाबदेही से बच रहे हैं। वे 2022 और 2024 के चुनाव में अपने गृह जिले कौशांबी में भी बीजेपी को जीत दिला पाने में सफल नहीं हो पाए। इतना ही नहीं 2022 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया। वे अपने क्षेत्र में लगातार दूसरी बार चुनाव हारे हैं। ऐसे में उनके ये बयान कहीं न कहीं हार से ध्यान हटाने को लेकर तो नहीं है।

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कुल मिलाकर इस सियासी उठापटक से तीन बड़े नतीजे निकलकर सामने आए हैं। पहला उपचुनाव तक सभी शांत रहेंगे और सभी एकुजट होकर पार्टी को जिताने की कोशिश करेंगे। दूसरा यूपी के संगठन में फेरबदल हो सकता है। तीसरा उपचुनाव के बाद योगी मंत्रिमंडल में भी फेरबदल संभव है।

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