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मनरेगा मजदूर माता-पिता के साथ हुई थी बड़ी नाइंसाफी, अब बेटा बन गया IPS

UPSC Topper Pawan Kumar House And Financial Condition: सिविल सर्विस परीक्षा 2023 का रिजल्ट आ गया है, जिसमें यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से गांव में किसान के बेटे पवन कुमार ने 239वीं रैंक हासिल करके पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया है। पूरा परिवार एक कमरे के कच्चे मकान में रहता है। जानें कितनी मुश्किलों से एक किसान पिता ने दिलाई अपने बेटे को यह उपलब्धि?
06:24 PM Apr 17, 2024 IST | Prerna Joshi
मनरेगा मजदूर माता पिता के साथ हुई थी बड़ी नाइंसाफी  अब बेटा बन गया ips
UPSC Pawan Kumar House And Financial Condition

UPSC Pawan Kumar House And Financial Condition (विहान शाहनवाज):बीते दिन यानी मंगलवार को यूपीएससी 2024 का रिजल्ट घोषित हुआ। इसमें रघुनाथपुर गांव के एक टूटे-फूटे घर में रहने वाले पवन कुमार ने 239 वीं रैंक हासिल की। वह 3 बहनों में इकलौते भाई हैं और उनके पिता एक किसान हैं। किसी कोठी-बंगले वाले लड़के ने नहीं बल्कि एक छोटे-से कच्चे मकान में रहने वाले लड़के ने इतना बड़ा एग्जाम क्रैक करके सबको हैरान कर दिया है। जानें एक गरीब घर के लड़के ने कितना स्ट्रगल करके क्रैक किया यूपीएससी?

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पवन का परिवार एक कमरे के कच्चे मकान में रहता है और उनके पास छप्पर की मरम्मत तक करवाने का पैसा नहीं है। वह चूल्हे पर खाना बनाते हैं और घर की हालत बेहद खराब हो चुकी है। बेटे की इस उपलब्धि को देख पिता मुकेश कुमार खुश हैं। पिता ने बताया कि खेती से पैसा इकठ्ठा करके उन्होंने पवन को कोचिंग दिलाई। वह मनरेगा मजदूरी भी कर चुके हैं, जिससे उन्हें 200 रुपये ध्याड़ी मिला करती थी और बाद में वह भी बंद हो गया।

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क्या करती हैं पवन की तीनों बहनें?

पवन कुमार की सबसे बड़ी बहन बीए के एग्जाम के बाद अब एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती है। दूसरी बहन इस समय बीए के एग्जाम दे रही है और तीसरी बहन 12वीं कक्षा में पढ़ रही है।

पिता ने बताया कि पवन छोटी उम्र से ही IAS बनना चाहते थे। उन्होंने दो साल दिल्ली के मुखर्जी नगर में कोचिंग ली। वह पिछले दो बार तो यूपीएससी क्रैक नहीं कर पाए लेकिन इस बार उनकी मेहनत रंग लाई। पिता ने मजदूरी करके और ब्याज पर पैसा उठाकर अपने बेटे को कोचिंग दिलाई।

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टूटी छत वाले घर को पक्का मकान कहकर नहीं दिया सरकारी योजना का लाभ

गैस सिलेंडर के लिए जब उज्ज्वला योजना आई, तो फ्री वाला सिलेंडर उन्हें भी मिल गया लेकिन फिर भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पवन के पिता ने कहा कि सिलेंडर भरवाने में जो पैसे लगते थे, उससे तो एक बच्चे की फीस भर जाती इसलिए उन्होंने चूल्हे पर रोटी बनाना ही सही समझा।

पवन के पिता ने प्रधानमंत्री आवास योजना में भी ट्राई किया। उन्हें बोला गया कि उनके पास इंक्वायरी आएगी। कुछ जानकार लोगों से पूछताछ हुई। जब प्रधान ने पूछा कि कोई जवाब मिला भी या नहीं? तो पवन के पिता ने कॉल की। कॉल करने पर पता चला कि उन्हें योजना के लिए पात्र नहीं माना और कहा गया कि उनका पक्का मकान है। छत टपकती है लेकिन उसे न देख के ईंट देखी और मकान को पक्का मान लिया गया।

टपकती छत की वजह से एक खाट पर बैठकर चारों ने काटी रात

जब पवन की मां से घर की हालत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बाइश में तो कभी-कभी इतनी छत टपकती है कि एक खाट पर चारों लोगों ने बैठकर पूरी रात काटी है।

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