समाजवादी पार्टी की लिस्ट में 2 महिला प्रत्याशी कौन, उषा वर्मा और श्रेया वर्मा की दावेदारी कितनी मजबूत?
Usha Verma Shreya Verma Samajwadi Party: समाजवादी पार्टी ने सोमवार को लोकसभा चुनावों के लिए अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में 11 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। जिसमें दो महिला प्रत्याशी भी हैं। सपा ने हरदोई से उषा वर्मा और गोंडा से श्रेया वर्मा को मैदान में उतारा है। आइए जानते हैं कि ये दो महिला उम्मीदवार कौन हैं और इनकी दावेदारी कितनी मजबूत है।
कौन हैं उषा वर्मा?
उषा वर्मा समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेत्री हैं। उनकी उम्र 60 साल है। वह हरदोई से तीन बार सांसद रह चुकी हैं। उषा वर्मा 1998, 2004 और 2009 में सांसद रह चुकी हैं। इसके साथ ही वह 2002 में विधानसभा का चुनाव भी जीत चुकी हैं। उस वक्त उन्हें मुलायम सिंह यादव की सरकार में राज्यमंत्री भी बनाया गया था। उषा वर्मा का जन्म हरिद्वार में हुआ था। उन्होंने रुड़की से अंग्रेजी में मास्टर्स तक पढ़ाई की है। उषा वर्मा दिवंगत सांसद परमाई लाल की बहू हैं। परमाई लाल 1962 में जेल में रहते हुए अपना पहला चुनाव जीतने के लिए जाने जाते थे। वह 6 बार विधायक रहे थे। उषा 2022 में सांडी से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
कितनी मजबूत दावेदारी?
उषा वर्मा की दावेदारी की बात की जाए तो पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2019 में हुए 17वें लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी जयप्रकाश रावत ने उषा वर्मा को हराया था। बीजेपी एक बार फिर जयप्रकाश रावत को मैदान में उतार सकती है। हालांकि दो बार हार का सामना कर चुकीं उषा वर्मा के लिए ये मुकाबला आसान नहीं होगा, लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव और लोगों का समाजवादी पार्टी पर भरोसा कितना काम आता है, ये देखने वाली बात होगी।
कौन हैं श्रेया वर्मा?
श्रेया वर्मा समाजवादी पार्टी की महिला विंग की उपाध्यक्ष हैं। श्रेया पूर्व केंद्रीय मंत्री और समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता बेनी प्रसाद वर्मा की पोती हैं। बेनी प्रसाद वर्मा के बारे में कहा जाता है कि एक बार वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। श्रेया वर्मा ने देहरादून के प्रतिष्ठित वेल्हम गर्ल्स स्कूल और दिल्ली के रामजस कॉलेज से पढ़ाई की है। उनके पिता राकेश वर्मा भी उत्तर प्रदेश की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। एक राजनीतिक परिवार से आने वाली श्रेया वर्मा पिछले कुछ समय से इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक रही थीं। वह गरीब बच्चों के लिए एक स्कूल भी चलाती हैं।
कितनी मजबूत है दावेदारी?
उनके मुकाबले की बात करें तो गोंडा सीट पर बीजेपी का कब्जा है। यहां से कीर्तिवर्धन सिंह सांसद हैं। कीर्तिवर्धन सिंह पहले समाजवादी पार्टी में शामिल थे। वह सपा से 1998 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। बृजभूषण शरण सिंह भी इस सीट से 1991 और 1999 में सांसद रह चुके हैं। ऐसे में बीजेपी के दबदबे वाली इस सीट से श्रेया का मुकाबला आसान नहीं होगा। हालांकि बेनी प्रसाद वर्मा परिवार की राजनीतिक साख इस बार पासा बदलने में कितना कामयाब होगी, ये देखने वाली बात होगी।
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