'विचारधारा को खत्म करना होगा...', पत्नी को टिकट न मिलने पर BJP में शामिल हुए उत्तराखंड के ये दिग्गज नेता
Uttarakhand News: उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने पार्टी को छोड़ने का ऐलान कर दिया है। जोशी 1978 से पार्टी का हिस्सा थे। स्थानीय निकाय चुनाव में पत्नी के लिए पिथौरागढ़ से मेयर का टिकट मांग रहे थे। लेकिन पार्टी के नजरअंदाज करने पर उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। शनिवार को उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थामा। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने उनके पार्टी छोड़ने की पुष्टि की है। दसौनी ने माना कि जोशी का जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका है।
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व्यक्तिगत क्षति बताते हुए दसौनी ने कहा कि पिछले कई समय से वे दूसरी पार्टियों के संपर्क में थे। कांग्रेस के लिए गलत भाषा का प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने पहले कभी किसी नेता का अपमान नहीं किया। उनके बयान संतुलित रहे। लेकिन मौजूदा समय में उनके बदले रवैये ने स्पष्ट कर दिया था कि वे पार्टी छोड़ रहे हैं। कांग्रेस ने उनको पदमुक्त कर दिया है। उनको कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता लेने से 6 साल के लिए बैन कर दिया गया है।
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शाम को उनकी पार्टी बदलने की योजना स्पष्ट हो सकती है। 65 वर्षीय जोशी 1978 से कांग्रेस में थे। 23 जनवरी को होने वाले निकाय चुनाव के लिए पत्नी रुक्मिणी जोशी के लिए टिकट मांगा था। रुक्मिणी फिलहाल पिथौरागढ़ जिला पंचायत की सदस्य हैं। लेकिन मेयर का टिकट कांग्रेस ने अंजू लुंठी को दे दिया। जिसके बाद जोशी ने रिजाइन कर दिया। जोशी ने पार्टी को भेजे लेटर में लिखा है कि मैंने 1978 से पार्टी के लिए काम करना शुरू किया था। बूथ से संगठन तक कई अहम भूमिकाएं निभाईं। लेकिन पार्टी ने उनको कभी इनाम नहीं दिया।
2014 में बने थे पार्टी प्रवक्ता
पिछले कई सालों में लगभग 1 हजार लोग पार्टी को छोड़ चुके हैं। बता दें कि मथुरा जोशी कांग्रेस सरकार में उच्च शिक्षा सुधार समिति के उपाध्यक्ष के तौर पर काम कर चुके हैं। 2014 में उनको मुख्य प्रवक्ता बनाया गया था। 1996 में वे उत्तराखंड बनने तक UP युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। एक दशक से वे विधानसभा चुनाव के लिए भी टिकट मांग रहे थे। जोशी ने लिखा कि कांग्रेस ने विभिन्न वैचारिक और नीतिगत मामलों में BJP का विरोध किया है। लेकिन अब हमें जीवित रहने के लिए विचारधारा को खत्म करना होगा।