होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से पूछा, क्या आपने प्रतिबंधित की गई दवाओं के विज्ञापन सोशल मीडिया से हटाए?

Patanjali Ayurveda Limited Case: शीर्ष अदालत ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को हलफनामा दाखिल करने के आदेश जारी किए थे। शीर्ष अदालत ने इसके लिए कंपनी को दो सप्ताह का समय दिया था। अब उत्तराखंड लाइसेंसिंग प्राधिकरण की ओर से कोर्ट में हलफनामा दिया गया है।
08:54 PM Jul 10, 2024 IST | Parmod chaudhary
Advertisement

Patanjali Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव द्वारा स्थापित पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसमें यह बताया जाए कि क्या उसके 14 उत्पादों के विज्ञापन वापस लिए गए हैं? जिनके विनिर्माण लाइसेंस शुरू में निलंबित कर दिए गए थे, लेकिन बाद में बहाल कर दिए गए थे। उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने 15 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस निलंबित करने का आदेश जारी किया था। राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर किया है।

Advertisement

हलफनामा में कहा गया है कि विवाद के मद्देनजर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की शिकायतों की जांच करने वाली एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के बाद निलंबन आदेश रद्द कर दिया गया है। इसमें कहा है कि 17 मई को 15 अप्रैल के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गई थी और बाद में निलंबन आदेश को रद्द कर दिया गया था। हालांकि, सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने पतंजलि के 16 मई के हलफनामे पर गौर किया, जिसमें फर्म ने कहा था कि 15 अप्रैल के निलंबन आदेश के मद्देनजर इन 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी गई थी। हलफनामे में कहा गया है कि कंपनी ने अपने आधिकारिक सत्यापित सोशल मीडिया अकाउंट/हैंडल से संबंधित विज्ञापनों को हटाने के लिए भी कदम उठाए हैं।

दो सप्ताह में दाखिल करना है हलफनामा

पीठ ने कहा कि प्रतिवादी संख्या पांच (पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड) को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह भी बताया जाए कि क्या सोशल मीडिया बिचौलियों से किए गए अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है? क्या 14 उत्पादों के विज्ञापन हटा दिए गए हैं/वापस ले लिए गए हैं? भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत ने कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ पतंजलि द्वारा बदनाम करने का आरोप लगाते हुए फर्म से दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा। पीठ ने आईएमए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया से पूछा कि क्या उन्होंने उचित जांच-पड़ताल की है? जांच की है कि क्या मई में पतंजलि द्वारा हलफनामा दायर किए जाने के बाद ये विज्ञापन वापस लिए गए थे?

भ्रामक विज्ञापनों का मामला देखा जाए

सुनवाई के दौरान आवेदकों में से एक की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि केंद्र को भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले को जल्द से जल्द देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका ऑनलाइन उद्योग पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। उद्योग को नुकसान नहीं होना चाहिए। (न्यायालय के) आदेशों का यह उद्देश्य नहीं है। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि इसका उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं है। इसका उद्देश्य केवल विशेष क्षेत्रों और विशेष पहलूओं पर ध्यान केंद्रित करना है। एक अधिवक्ता ने कहा कि वह एक रेडियो एसोसिएशन की ओर से पेश हो रहे हैं और उनके पास 10 सेकंड के विज्ञापन हैं। पीठ ने कहा कि हमारा यह भी मानना ​​है कि उद्योग को किसी भी तरह से नुकसान नहीं होना चाहिए। इस न्यायालय का ध्यान पहले ही पिछले आदेशों में उजागर किया जा चुका है और इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उच्चतम स्तर पर अधिकारियों द्वारा चर्चा की जानी चाहिए।

Advertisement

याचिका के दायरे का विस्तार

पीठ ने कहा कि हम नहीं चाहते कि अनुमोदन की परतें हों, इसलिए जो कुछ भी छोटा और सरल किया जाना है, वह किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि 7 मई को पारित अपने आदेशों के अनुसार याचिका के दायरे का विस्तार किया गया है, इसलिए पीठ ने अधिवक्ता शादान फरासत से अनुरोध किया कि वे इस मामले में न्यायमित्र के रूप में न्यायालय की सहायता करें। पीठ ने कहा कि न्यायमित्र न्यायालय को केंद्र और अन्य प्राधिकरणों सहित राज्य प्राधिकरणों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे आंकड़ों को एकत्र करने में सहायता करेगा, ताकि समय की बचत हो और न्यायालय द्वारा पहले उजागर किए गए मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से कहा कि क्या हम आपसे एक बैठक बुलाने का अनुरोध कर सकते हैं? ताकि सभी हितधारक और आपके विभाग के वरिष्ठतम अधिकारी विचार-विमर्श कर सकें।

कठिनाइयों को हल करने की जरूरत

नटराज ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने विभिन्न हितधारकों के साथ उच्च स्तरीय बैठकें की हैं, ताकि उनके द्वारा व्यक्त किए गए मुद्दों और कठिनाइयों को हल किया जा सके। पीठ ने कहा कि उन्होंने (एएसजी) कहा है कि इस तरह की बैठकों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि मुद्दों को सरल बनाया जा सके और हस्तक्षेपकर्ताओं के सामने आने वाली कठिनाइयों और उन्हें हल करने के तरीकों को इंगित किया जा सके। मंत्रालय से कहा कि वह "विचारों पर मंथन" जारी रखें और इस दिशा में आगे की बैठकें करें तथा तीन सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिशें पेश करते हुए हलफनामा दाखिल करें। पीठ ने कहा कि मंत्रालय को "विचारों पर मंथन" जारी रखना चाहिए तथा इस दिशा में आगे और बैठकें करनी चाहिए।

Open in App
Advertisement
Tags :
Patanjali
Advertisement
Advertisement