Video: भारत के लिए कैसा रहा शेख हसीना का कार्यकाल, बांग्लादेश छोड़ भारत ही क्यों आईं?
Bangladesh Political Crisis : साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बना नया देश बांग्लादेश इस समय गंभीर राजनीतिक संकट में फंसा हुआ है। शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश भी छोड़ चुकी हैं। सेना की ओर से अल्टीमेटम मिलने के बाद उन्होंने अपनी बहन के साथ देश छोड़ दिया था। इसके बाद अटकलों का दौर शुरू हुआ कि वह कहां जाएंगी। इसे लेकर लंदन समेत कई जगहों के नाम उठे। लेकिन, शेख हसीना शाम होते-होते भारत पहुंच गईं। पहली बार निर्वासित होने के बाद भी उन्होंने यहीं शरण ली थी। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर न्यूज24 के स्पेशल प्रोग्राम 'राष्ट्र की बात' में वरिष्ठ पत्रकार संजीव श्रीवास्तव ने कई अहम मुद्दों पर बात की और भारत पर इसके असर पर राय रखी।
संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते हुए उनका पूरा कार्यकाल भारत के लिए काफी फायदेमंद रहा। दक्षिणी एशिया की बात करें तो नेपाल हमारे साथ उतना नहीं है, पाकिस्तान हमारे साथ नहीं है, भूटान में समस्याएं पैदा हो रही हैं और वह भी चीन की ओर खिसकता जा रहा है। श्रीलंका का हाल भी कुछ वैसा ही है। मगर, बांग्लादेश एक सॉलिड सपोर्ट की तरह से हमेशा हमारे साथ रहा है और इसकी बड़ी वजह शेख हसीना रही हैं। लाजिमी तौर पर जियोपॉलिटिक्स में, फॉरेन रिलेशंस में इन सब में सब कुछ जो सतह पर दिख रहा हो वही दिख रहा है यह जरूरी नहीं है। उन्होंने आशंका जताई कि बांग्लादेश में बने इन हालात के पीछे चीन या पाकिस्तान का हाथ भी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जब से बांग्लादेश बना है वहां पाकिस्तान समर्थक हमेशा से रहे हैं। अब भारत के सामने बड़ी मुश्किल हो रही है। अगर वह भारत में रहती हैं तो भारत के गले में सांप-छछूंदर जैसी स्थिति बन जाएगी। शेख हसीना एक डिस्क्रेडिटेड (बदनाम) नेता की तरह देश छोड़कर भागी हैं। अगर वह भारत में रह जाती हैं तो ऐसे में दिक्कत आ सकती है। क्योंकि बांग्लादेश में किसी की सरकार बने, कोई भी सत्ता में आए भारत तो कम्युनिकेशन के लिए अपने दरवाजे खुले रखना चाहेगा। भारत सरकार शेख हसीना की समस्याएं लेकर नहीं चलना चाहेगा। भारत को बहुत संतुलित तरीके से बांग्लादेश को लेकर अपनी विदेश नीति रखनी होगी। हमारे पड़ोस में जो सबसे मजबूत सपोर्ट सिस्टम था वह अचानक बिखर गया है।