Video: यूपी में नजूल बिल पर इतना बवाल क्यों ? सहयोगी भी हुए BJP के खिलाफ! समझें 5 पॉइंट्स में
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए उनका एक विधेयक बड़ा संकट बन गया है। योगी सरकार नजूल बिल लेकर आई थी। इसे विधानसभा से तो मंजूरी मिल गई थी लेकिन विधान परिषद ने इसे पारित करने से इनकार कर दिया। बड़ी बात यह है कि इस विधेयक का विरोध न केवल विपक्षी नेता बल्कि खुद भाजपा के सहयोगी भी कर रहे हैं। विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक 2024 बुधवार को ध्वनिमत से पारित हो गया था। गुरुवार को केशव प्रसाद मौर्य ने इसे विधान परिषद में पेश किया। लेकिन, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की मांग पर सदन ने इसे पारित करने के बजाय प्रवर समिति को भेजने का निर्णय लिया।
बता दें कि अगर किसी जमीन का कोई वारिस नहीं है और जो सरकार के पास है उस जमीन को नजूल कहा जाता है। इसे लेकर जो विधेयक योगी सरकार लाई है उसमें कहा गया है कि इस तरह की जमीन का इस्तेमाल जनता के फायदे के लिए होना चाहिए। जिसने नजूल जमीन लीज पर ली है, लीज की अवधि पूरी होने के बाद सरकार उससे जमीन वापस लेगी। जिन लोगों ने लीज पर जमीन ली है लेकिन इसकी फीस नहीं भरी है उनकी लीज रद्द कर दी जाएगी। इसके अलावा इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि नजूल जमीन की लीज का एग्रीमेंट सिर्फ उन लोगों के लिए रिन्यू किया जाएगा जो उसका नियमानुसार पालन करेंगे।
इस विधेयक के खिलाफ सबसे पहले आवाज भाजपा नेता डॉ. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने उठाई थी। इसके बाद कांग्रेस और सपा के नेता भी इसके विरोध में आए ही, भाजपा के सहयोगी दल भी इसकी खिलाफत में उतर पड़े हैं। विरोध करने वालों का कहना है कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो इससे जिला और तहसील स्तर पर अधिकारियों के उत्पीड़न में बढ़ोतरी हो सकती है। इसे लेकर भाजपा की सहयोगी पार्टी सुभासपा के प्रमुख और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी साफ-साफ कहा है कि जब तक नजूल जमीन पर रहने वाले गरीबों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाती है, तब तक यह विधेयक पारित नहीं होगा।