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1 ही नदी को 2 बार पार करता है ये अनोखा पुल, बनने में लग गए 27 साल; कितनी है लंबाई?

This Bridge Crosses 1 River 2 Times : इस पुल को बनाने के काम की शुरुआत साल 1969 में हुई थी और काम 1996 में पूरा हुआ था। यानी इसे बनाने में करीब 3 दशक का समय लग गया। इस रिपोर्ट में जानिए यह पुल कहां है, क्यों इसे बनाने की जरूरत आ पड़ी और इसे बनाने में कितना खर्च आया।
06:55 PM Apr 25, 2024 IST | Gaurav Pandey
1 ही नदी को 2 बार पार करता है ये अनोखा पुल  बनने में लग गए 27 साल  कितनी है लंबाई
The 6th of October Bridge (Source: Wikipedia)

The 6th Of October Bridge :  धरती पर जब से सभ्यता विकसित हुई है तब से इंसानों से एक से एक अनोखे आविष्कार किए हैं, हैरान कर देने वाली चीजें बनाई हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक अनोखे पुल के बारे में जो इतना लंबा है कि एक ही नदी को दो बार पार करता है। इसे बनाने में 27 साल का समय लगा और खर्च लगभग 10 लाख पाउंड (करीब 10 करोड़ 39 लाख 82 हजार रुपये) आया। इस पुल का नाम द सिक्स्थ ऑफ अक्टूबर ब्रिज (The 6th Of October Bridge) है।

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यह पुल मिस्र की राजधानी काहिरा में स्थित है। 20.5 किलोमीटर लंबे इस पुल की कल्पना सबसे पहले साल 1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति गमाल अब्देल-नासेर ने की थी। उस समय काहिरा ट्रैफिक बढ़ने की समस्या का सामना कर रहा था और राष्ट्रपति गमाल की योजना काहिरा की सड़कों को ट्रांसफॉर्म करना था। रिपोर्ट्स के अनुसार उस समय काहिरा की सड़कों पर लगभग 65 हजार कार, बस और मोटरसाइकिल दौड़ती थीं। इसी समस्या के हल के लिए इस पुल को बनाने का फैसला लिया गया था।

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1969 में शुरू हुआ निर्माण, 1996 में हुआ पूरा

इस पुल को इस तरह डिजाइन किया गया था कि वह विश्व प्रसिद्ध नील नदी के किनारों को जोड़ते हुए शहर को कनेक्ट करे। करीब 3 दशक तक इस पुल का निर्माण कार्य चला और जब यह बन कर तैयार हुआ तो दुनिया की सबसे लंबी नील नदी को 2 बार पार रहा था। उल्लेखनीय है कि 1969 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था जो 27 साल बाद साल 1996 में पूरा हो पाया था। बता दें कि इस पुल के निर्माण में इतना लंबा समय लगने का अहम कारण इस देश की आर्थिक स्थिति में आया उतार-चढ़ाव रहा।

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पुल का 6th Of October नाम क्यों रखा गया?

अब आप सोच रहे होंगे कि बाकी सब तो ठीक है लेकिन पुल का नाम ऐसा क्यों रखा गया। बता दें कि पुल का नाम 6th Of October Bridge उस तारीख की याद में रखा गया जब मिस्र की सेना ने 1973 में हुए अरब-इजराइली योम किप्पुर युद्ध को शुरू करने के लिए सुएज कनाल को पार किया था। बताते हैं कि इस पुल पर सफर अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। इस पर यात्रा करते समय आप प्रसिद्ध इजिप्शियन म्यूजियम, काहिरा टॉवर समेत शहर के कई आइकॉनिक स्थानों को देख सकते हैं।

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