नहीं रहेगा काम का हैंगओवर, यहां बना कानून, 9 घंटे की नौकरी के बाद 'बॉस' हैं आप

Right to Disconnect News: 'राइट टू डिस्कनेक्ट' कानून के समर्थकों का कहना है कि इस कानून से उन्हें पसर्नल लाइफ में काम से जुड़े ईमेल्स, टेक्स्ट और कॉल्स की घुसपैठ को रोकने में मदद मिलेगी। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद ऑफिस और पर्सनल जिंदगी में कोई अंतर ही नहीं रहा है।

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ऑस्ट्रेलिया के 'राइट टू डिस्कनेक्ट' जैसे कानून यूरोप और लैटिन अमेरिका के कुछ देशों में भी हैं।

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Right to Disconnect News: क्या आप वीकेंड पर भी काम करते हैं? वीक ऑफ हासिल करने में मुश्किल आती है? ऑफिस से घर जाने के बाद भी फोन और ईमेल का जवाब देने में लगे रहते हैं? अगर हां, तो ऑस्ट्रेलिया के कर्मचारी अब अपने वर्क लाइफ और होम लाइफ में आसानी से बैलेंस बना सकेंगे। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने कर्मचारियों को राइट टू डिस्कनेक्ट का अधिकार दिया है। सरकार को उम्मीद है कि इस कानून के जरिए कर्मचारी पर्सनल लाइफ में काम से जुड़े ईमेल्स और कॉल्स से मुक्ति पा सकेंगे।

ऑस्ट्रेलिया में नया कानून सोमवार से लागू हो गया है। इसका मतलब है कि कर्मचारी अब काम के घंटों के बाद ऑफिस से जुड़े काम का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं होंगे। न उन्हें ईमेल की चिंता रहेगी और न ही कॉल्स का जवाब देने की। और इसके लिए कर्मचारियों को दंडित नहीं किया जा सकेगा।

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'राइट टू डिस्कनेक्ट' कानून के समर्थकों का कहना है कि इस कानून से उन्हें पसर्नल लाइफ में काम से जुड़े ईमेल्स, टेक्स्ट और कॉल्स की घुसपैठ को रोकने में मदद मिलेगी। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद ऑफिस और पर्सनल जिंदगी में कोई अंतर ही नहीं रहा है।

कोरोना ने बदल दिया ट्रेंड

स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर जॉन हॉपकिन्स ने कहा कि डिजिटल टेक्नोलॉजी से पहले पर्सनल जिंदगी में कोई अतिक्रमण नहीं था, शिफ्ट के बाद लोग घर जाते थे और फिर उसके बाद कोई संपर्क नहीं होता था, जब तक कि अगले दिन वे वापस ऑफिस न आएं। लेकिन अब ये वैश्विक तौर पर ट्रेंड बना गया है कि लोग ऑफिस के बाद भी ईमेल्स, एसएमएस और फोन कॉल्स रिसीव करते रहते हैं, और ये छुट्टियों में भी जारी रहता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑस्ट्रेलियाई कमर्चारियों ने 2023 में औसत तौर पर 281 घंटे बिना मेहनताना के काम किया। ऑस्ट्रेलिया इंस्टीट्यूट ने इन काम के घंटों का मूल्यांकन किया और कहा कि इसकी वैल्यू 73.7 खरब रुपये से ज्यादा है।

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'राइट टू डिस्कनेक्ट' कानून के बाद ऑस्ट्रेलिया भी यूरोप और लैटिन अमेरिका स्थित उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। जहां राइट टू डिस्कनेक्ट जैसे कानून हैं।

सबसे पहले यहां बना कानून

सबसे पहले फ्रांस ने 2017 में इस तरह का कानून बनाया था। एक साल फ्रांस की सरकार ने पेस्ट कंट्रोल कंपनी रेंटोकिल पर 55 लाख से ज्यादा का जुर्माना लगाया था। दरअसल कंपनी ने अपने कर्मचारियों को निर्देश दिया था कि वे हमेशा फोन ऑन रखेंगे।

हालांकि ऑस्ट्रेलिया का कानून इमरजेंसी और नौकरी के अनियमित घंटों के दौरान कंपनी को कर्मचारियों से संपर्क करने की अनुमति देता है। कर्मचारी इस मामले में तभी जवाब देने से इनकार कर सकते हैं, जब उनके पास ठोस कारण हो।

कारणों की जांच का जिम्मा ऑस्ट्रेलिया की फेयर वर्क कमीशन के पास है। इस दौरान कमीशन कर्मचारी की बात भी सुनेगा और निजी परिस्थितियों का भी ध्यान रखेगा। साथ ही यह भी जांचेगा कि किस तरह और क्यों संपर्क स्थापित किया गया था।

फेयर वर्क कमीशन के पास किसी भी स्थिति में ऑर्डर जारी करने का अधिकार है। वह कर्मचारी पर भी 10.8 लाख से ज्यादा का जुर्माना लगा सकता है, साथ ही कंपनी पर भी 53 लाख से ज्यादा का जुर्माना ठोक सकता है।

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