छत से कूद तुड़वाई टांग तो कोई रातभर चला पैदल, बांग्लादेश से लौटे लोगों की रुला देने वाली कहानी
Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश से लौटे लोगों ने जो आपबीती सुनाई है, वह रूह कंपा देने वाली है। सीमा पर बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में बोंगांव के पास पेट्रापोल के जॉइंट चेकपोस्ट पर लोगों की लंबी कतार लगी हुई है। इन लोगों ने यहां पहुंचने के लिए कितना जोखिम उठाया है? सुनकर हैरानी होती है। जान बचाने के लिए लोगों ने रातभर सफर किया। कोई छत से कूदकर टांग तुड़वा बैठा। लेकिन फिर भी कराहते हुए यहां तक पहुंचा। कई लोगों ने मजबूरी में रात को सफर के लिए हजारों रुपये खर्च किए। आगजनी के बीच मंदिर में शरण लेने वाले हिंदू परिवारों की जान स्थानीय लोगों ने बचाई। हिंसा के बीच हजारों लोग भारत का रुख कर रहे हैं। इनमें भारतीय भी शामिल हैं, जो काम के सिलसिले में वहां गए थे। लेकिन हिंसा के बीच फंस गए।
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पेट्रापोल के बस स्टैंड पर कई लोग घर जाने के लिए गाड़ियों का वेट कर रहे हैं। 36 साल के शाहिद अली एंबुलेंस से पेट्रापोल बॉर्डर पहुंचे। वे मूल रूप से असम के हैं। जो आवामी लीग के पदाधिकारी के साथ एक होटल में थे। लेकिन भीड़ ने इसे आग लगा दी। जिसके बाद वे छत से नीचे कूद गए। उनकी टांग टूट गई। लेकिन भाई फैजान ने किसी तरह वहां से बचाया और बॉर्डर तक लेकर आए। इस आगजनी में 24 लोगों की मौत हो गई थी।
Evidence of Hindu Temples attacked by Islamist mobs in Bangladesh. This ISCKON Temple in Meherpur, Khulna Division of Bangladesh. I spoke to senior ISCKON office bearers who confirmed that at least 5 temples in Bangladesh have been attacked and gutted. Many Hindus are in hiding. pic.twitter.com/Kgdx6Hg8Yr
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 6, 2024
फरिश्ते बनकर आए मुस्लिम, बचाई जान
एक हिंदू परिवार ने बताया कि वे लोग सिलहट के चाय बागान में काम करते थे। उपद्रव के बाद 6 लोग एक मंदिर में रुके। भीड़ के हमले से पहले कुछ मुस्लिम ग्रामीणों ने उनको यहां से निकाला। वहां मस्जिद में छिपाया, जिसके बाद वे बॉर्डर तक पहुंचे। पहाड़ी इलाकों में रात को भी सफर जारी रहा। कुछ लोग बांग्लादेश के ब्राह्मणबरिया के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में काम करने गए थे। ऐसे 15 लोग त्रिपुरा बॉर्डर से स्वदेश पहुंचे हैं। कंपनी की एक गाड़ी ने उनको अखौरा पहुंचाया, जिसके बाद पैदल बॉर्डर पर आए। पहचान छिपाने के लिए रास्ते में किसी से बात नहीं की। वहीं, अहमदाबाद के रहने वाले गुलाम मोहम्मद शेख ने बताया कि उन्होंने 60 किलोमीटर के सफर के दौरान 8 रिक्शा बदले। रिक्शावालों ने मर्जी से पैसे वसूले। एक परिवार ने बताया कि उपद्रवी खुलेआम हथियार लेकर घूम रहे थे। इमारतों और कारों में आग लगा रहे थे।