4184 km तक लगातार उड़ती रहीं ये तितलियां, बिना रुके तय किया सफर! क्यों और कैसे?
Butterflies Travelled 2600 Miles : तितलियों को उनके लंबी दूरी के माइग्रेशन के लिए जाना जाता है। मोनार्क बटरफ्लाई ठंड के दौरान अमेरिका और कनाडा लौटने से पहले मेक्सिको में करीब 4828 किलोमीटर की यात्रा करती है। इस पूरे सफर में उसकी कई पीढ़ियां निकल जाती हैं। अब वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने तितलियों की एक और अनोखी यात्रा खोज निकाली है। इस टीम ने पेंटेड लेडी बटरफ्लाई नामक इन तितलियों का पश्चिमी अफ्रीका से फ्रेंच गुयाना तक का सफर रिकॉर्ड किया है।
इस कहानी की शुरुआत अक्टूबर 2013 में हुई थी जब बोटेनिकल इंस्टीट्यूट ऑफ बार्सिलोना के एक स्पेनिश रिसर्चर जेरार्ड टालावेरा ने फ्रेंच गुयाना के अटलांटिक तट के पास पेंटेड लेडी बटरफ्लाईज की खोज की थी। फ्रेंच गुयाना दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट पर स्थित फ्रांस का एक हिस्सा है। बता दें कि तितलियों की यह प्रजाति साउथ अमेरिका में नहीं पाई जाती है। ऐसे में इस खोज ने इस सवाल को जन्म दिया कि आकार में सिर्फ कुछ इंच की ये तितलियां अपने घर पश्चिमी अफ्रीका से इतनी दूर कैसे पहुंचीं?
कई अनोखे काम कर सकती हैं तितलियां
इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए एक दशक से ज्यादा समय तक की कई कोशिशों के परिणाम 'नेचर कम्युनिकेशंस' नामक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इस स्टडी के सह लेखक और बार्सिलोना के इंस्टीट्यूट ऑफ इवॉल्यूशनरी बॉयोलॉजी में रिसर्चर रॉजर विला कहते हैं कि हम आम तौर पर तितलियों को सुंदरता के एक बेहद कोमल प्रतीक के तौर पर देखते हैं। लेकिन साइंस ने यह दिखाया है कि वे बेहद आश्चर्यजनक कार्यों को अंजाम दे सकती हैं। तितलियों की क्षमताओं के बारे में हमें अभी भी बहुत कुछ नहीं पता है।
इसे लेकर वैज्ञानिकों की टीम ने पहले यह जानने के लिए काम किए कि क्या अटलांटिक महासागर पार करने वाली यह यात्रा क्या संभव भी है या नहीं। स्टडी में पता चला कि तितलियां बिना रुके 5 से 8 दिन में यह सफर पूरा कर सकती हैं। फ्रेंच गुयाना में मिली इन तितलियों की जेनेटिक स्टडी में पता चला कि ये अफ्रीकन और यूरोपियन तितलियों से संबंधित हैं। इसने इस संभावना को कारिज कर दिया कि ये तितलियां अमेरिका की हो सकती हैं। इसके बाद टीम ने और गहराई में जाकर अन्य सबूतों की खोज शुरू की।
1 दशक तक चली स्टडी में क्या पता चला?
वैज्ञानिकों ने देखा कि इन तितलियों ने करीब 4184 किलोमीटर का सफर तय किया। अटलांटिक महासागर के ऊपर से होने वाली इस यात्रा के दौरान उन्होंने एक भी ब्रेक नहीं लिया। यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा के क्लेमेंट बेटाइल ने कहा कि तितलियों के इतने लंबे माइग्रेशन के लिए हमने मॉलीक्यूलर टेक्नीक्स का इस्तेमाल किया। यह टेक्नीक कीटों के माइग्रेशन को समझने के लिए हमारी क्षमता और स्तर को काफी बेहतर कर सकती है। रिसर्चर्स के अनुसार ऐसे कीटों पर नजर रखने के लिए व्यापक योजना होनी चाहिए।
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