Copy-Paste की हद! वैश्विक धरोहरों को भी नहीं छोड़ रहे चीनी, बना डाली नकली UNESCO Site
China Fake UNESCO News: चीन में एक छात्र के साथ धोखाधड़ी का अनोखा मामला सामने आया है। छात्र की इच्छा थी कि वह परीक्षाओं के बाद टेराकोटा आर्मी साइट का दौरा करे। लेकिन उसे एक टैक्सी ड्राइवर मिला, जो असली टेराकोटा आर्मी साइट की जगह स्टूडेंट को दूसरी साइट पर ले गया। जिसके बाद स्टूडेंट को अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता लगा। धोखाधड़ी का शिकार होने वाला चीनी माध्यमिक स्कूल का स्टूडेंट है। धोखाधड़ी के बाद उसने सोशल मीडिया पर भी अपना दर्द बयां किया है। बता दें कि टेराकोटा आर्मी साइट को 1987 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। यह मध्य चीन के शांक्सी प्रांत के जियान में है। जहां चीन के पहले शासक किन शि हुआंग की सेनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली मूर्तियों को सहेजकर रखा गया है।
जियाओजेंग नाम के छात्र ने 15 जून को यहां जाने की प्लानिंग की थी। साइट देखने के लिए कॉलेज गाओकाओ प्रवेश परीक्षाएं देने के बाद यह लड़का जियान आया था। लेकिन एक स्थानीय टैक्सी चालक धोखे से उसे 'ड्रीमिंग बैक ऑफ किन राजवंश' नामक जगह पर ले गया। उसे आरोपी ने झांसा दिया कि वह वहां मूर्तियों को छू सकता है। उनके साथ फोटो ले सकता है। आरोपी ने झांसा दिया कि ये टेराकोटा के महान योद्धा हैं, जिनको देखने के लिए वह भूमिगत महल में जा सकता है। लेकिन जब वह साइट को देखने के बाद बाहर आया तो उसे अटपटा लगा।
It would be so hilarious if China’s terracotta army turned out to be fake. pic.twitter.com/vnl2ZmcuE1
— Van Ike (@vanikehuman) July 2, 2024
वीचैट की मदद से पता लगी थी असलियत
जिसके बाद उसने वीचैट खाते की जांच की तो अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता लगा। वह असली साइट से लगभग 2 किलोमीटर दूर मौजूद था। जिसके लिए उसने टैक्सी ड्राइवर को 198 युआन यानी 28 डॉलर (2337 रुपये) का भुगतान किया था। लेकिन असली साइट पर जाता तो उसके 60 युआन बच जाते। वहां जाने के लिए सिर्फ 120 युआन ही चार्ज करना पड़ता। धोखाधड़ी के मामले के बाद अब जियान नगर के सांस्कृतिक और पर्यटन विभाग ने भी प्रतिक्रिया दी है। विभाग ने कहा है कि मामला उनके ध्यान में है। अगर इस तरह कोई धोखाधड़ी करे तो उसके बारे में 12345 पर सूचना दें।
लिंटोंग डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्टेशन कॉम्प्रिहेंसिव लॉ एनफोर्समेंट टीम को भी फर्जी ड्राइवरों के बारे में पता लगा है। जो इस तरह लोगों को ठग रहे हैं। हालांकि मेयर की हॉटलाइन पर शिकायत के बाद विद्यार्थी के पैसे लौटा दिए गए हैं। लोगों ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। लोगों ने कहा कि दुनिया के आठवें अजूबे को इस तरह नकली बना देना देश की छवि को खराब कर रहा है। ऑनलाइन पर्यवेक्षकों ने एक बस को लेकर भी दावा किया है। इस बस को असली टेराकोटा साइट पर चलाने और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बनाया गया है। एक अन्य व्यक्ति ने भी दावा किया है कि सालों पहले उसे भी नकली साइट पर ले जाया गया था। उसने नकली योद्दा देखे तो लगा था कि सरकार ने इनको ठीक से नहीं सहेजा। अब सच्चाई पता लगी है कि उससे भी फ्रॉड हुआ था।