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कबूतरों, गिलहरियों को दी जाएंगी गर्भ निरोधक गोलियां! इन मासूमों से इंसानों को खतरा?

Contraceptive Pills To Pigeons And Squirrels : दुनिया के कुछ देशों में गिलहरियों को गर्भ निरोधक गोलियां दी जा रही हैं। वहीं कुछ देशों में कबूतरों और दूसरे जीव-जंतुओं को भी गर्भ निरोधक गोलियां देने पर विचार किया जा रहा है। इसका कारण है इनकी जनसंख्या पर रोक लगाना। जानें, आखिर इनकी जनसंख्या पर रोक लगाने के लिए ऐसा क्यों किया जा रहा है?
09:52 AM Jun 15, 2024 IST | Rajesh Bharti
कबूतरों  गिलहरियों को दी जाएंगी गर्भ निरोधक गोलियां  इन मासूमों से इंसानों को खतरा
यूरोप में जीव-जंतुओं को गर्भ निरोधक गाेलियां देने पर विचार।

Contraceptive Pills To Pigeons And Squirrels : क्या आपने कभी सोचा है कि कबूतर और गिलहरी जैसे जीव-जंतु इंसानों और प्रकृति के लिए खतरनाक हो सकते हैं? वह गिलहरी जिसके बारे में कहा जाता है कि जब लंका पर चढ़ाई के लिए भगवान राम समुद्र पर पुल बना रहे थे तो उसमें गिलहरी ने भी मदद की थी। भगवान राम ने गिलहरी को अपने पास बुलाया और उसके ऊपर हाथ फेरा। कहा जाता है कि गिलहरी के ऊपर जो धारियां हैं, वह भगवान राम की उंगलियों के निशान हैं। वहीं वह कबूतर जो सदियों से इंसानों के साथ रहा है। राजा-महाराजों के लिए संदेश वाहक रहा है। ये अब इंसान और प्रकृति के लिए खतरा बन रहे हैं। ऐसा अमेरिकी और यूरोप के वैज्ञानिकों का मानना है। यही कारण है कि अब इन जीव-जंतुओं की संख्या कम करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए वैज्ञानिक इन्हें गर्भ निरोधक गोलियां देने के बारे में प्लान बना रहे हैं।

क्या है मामला

वैज्ञानिकों का कहना है कि कबूतर, गिलहरी, जंगली सूअर, ताेता, हिरण आदि जीव-जंतु इंसानों और प्रकृति के लिए अब खतरा बन रहे हैं। इसका कारण है कि इनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गिलहरियों में ग्रे गिलहरी की प्रजाति को साल 1800 में घर की शान बढ़ाने के उद्देश्य से अमेरिका से इंग्लैंड लाया गया था। अब यहां इनकी संख्या काफी बढ़ गई है। इन ग्रे गिलहरियों के कारण स्थानीय लाल गिलहरियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। साथ ही ये ग्रे गिलहरियां यहां के पेड़ों (टिंबर की लकड़ी) की छाल छीलकर उन्हें नुकसान पहुंचा रही हैं। इंग्लैंड की रॉयल फॉरेस्ट्री सोसायटी की ओर से हुए एक सर्वे में सामने आया है कि इन गिलहरियों के कारण सालाना करीब 40 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। साथ ही ये गिलहरियां पेड़ों की पत्तियों को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। वहीं कबूतरों के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि ये इंसानों में सांस से संबंधित परेशानियां पैदा कर रहे हैं। इसी प्रकार दूसरे जीव-जंतु भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही कारण है कि इनकी संख्या पर नियंत्रण के लिए इन्हें गर्भ निरोधक गोलियां देने पर प्रयोग चल रहे हैं।

Contraceptive Pills

जंगली सूअरों की जनसंख्या पर कैसे कंट्रोल किया जाए, इस पर भी विचार चल रहा है।

फसलों को नुकसान पहुंचा रहे जंगली सूअर

बाहुबली मूवी में एक सीन है जिसमें प्रभास अनुष्का शेट्टी के साथ खेतों में जंगली सूअरों को मारने जाते हैं। वहां से स्थानीय लोगों का कहना होता है कि ये सूअर खेतों और फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसा ही कुछ महाद्वीपीय यूरोप और स्कैंडिनेविया के लोगों के साथ हो रहा है। इटेलियन किसान संघों का कहना है कि साल 2010 में यहां जंगली सूअरों की संख्या करीब 5 लाख थी जो 2020 में बढ़कर 10 लाख हो गई है। इससे ये न केवल फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि इनके कारण सड़क दुर्घटनाओं के मामले भी काफी बढ़ गए हैं। जर्मनी और फ्रांस में हर साल 5 लाख से ज्यादा जंगली सूअरों को गोली मार दी जाती है। फिर भी इनकी संख्या में नियंत्रण नहीं हो पा रहा है।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए गर्भ निरोधक गोलियां

वैज्ञानिकों को कहना है कि इन जीव-जंतुओं की संख्या कम करने के लिए इन्हें मारने से बेहतर है कि इनकी प्रजनन क्षमता को कम किया जाए। द गार्जियन में छपी खबर के मुताबिक न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की डॉ. जिओवाना मैसी कहती हैं कि इन जीव-जंतुओं के कारण दुनियाभर में आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान हो रहा है। इसे रोकने के लिए हम रचनात्मक विकल्प खोज रहे हैं। इन्हें गर्भनिरोधक गाेलियां देने का उद्देश्य भी यही है। यह तरीका जानवरों या पक्षियों को गोली या जहर से मारने से बेहतर है।

दाने में मिलाई जाएगी गोली

वैज्ञानिकों का कहना है इन जीव-जंतुओं की संख्या पर कंट्रोल करने के लिए इनके दाने में गर्भ निरोधक गोलियां देने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि कुछ जगह इनका प्रयोग भी चल रहा है। ब्रिटेन में हेजलनट नामक फल में गर्भ निरोधक गोलियां रखकर इन्हें ग्रे गिलहरियों को दिया जा रहा है। दरअसल, इसके अंदर छिपी गिरी को खाने के लिए इसे खोलना थोड़ा मुश्किल होता है जो लाल गिलहरियों से नहीं खुलता। इन्हें सिर्फ ग्रे गिलहरियां ही खोल सकती हैं। इसलिए सिर्फ ग्रे गिलहरियों की प्रजाति को नियंत्रण में करने के लिए हेजलनट का इस्तेमाल किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके नतीजे अच्छे आ रहे हैं। कबूतरों और दूसरे पक्षियों की संख्या कंट्रोल में करने के लिए उनके दानों में मिलाकर इन गोली को देने पर विचार चल रहा है।

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