गाय के 'गैस' छोड़ने पर 100 डॉलर का टैक्स! दुनिया में पहली बार कहां लागू होगा नियम?
Denmark Animal Farts Tax: डेनमार्क में अब गाय, भेड़ और सूअर गैस छोड़ेंगे तो पशुपालकों को जुर्माना देना होगा। पशुपालकों के लिए 100 डॉलर (लगभग 8343.65 रुपये) का टैक्स वहन करना होगा। चौंकिए मत, डेनमार्क यह नियम 2030 से लागू करने जा रहा है। पशुपालकों को इसके बाद टैक्स वहन करना होगा। गाय, भेड़ और सूअरों से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के लिए टैक्स वसूला जाएगा। ऐसा नियम लागू करने वाला डेनमार्क इकलौता देश होगा। डेनमार्क का लक्ष्य मीथेन उत्सर्जन को कम करना है। मीथेन उत्सर्जन के कारण ग्लोबल टेंपरेचर में बढ़ोतरी होती है।
जिससे ग्लेशियरों के पिघलने का खतरा होता है। मीथेन को तापमान में बढ़ोतरी के लिए शक्तिशाली गैसों में से एक माना जाता है। डेनमार्क के कराधान मंत्री जेप्पे ब्रुस की ओर से पुष्टि की गई है। जिन्होंने कहा है कि डेनमार्क का टारगेट 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 1990 के लेवल से 70 फीसदी तक कम करना है। 2030 तक प्रति टन कार्बनडाईऑक्साइड के हिसाब से मवेशी पालक कर का भुगतान करेंगे। प्रति टन 300 क्रोनर (लगभग 3587.77 रुपये) टैक्स वहन करेंगे।
काफी खतरनाक है मीथेन गैस, यूएस ने भी दी है रिपोर्ट
पांच साल में ही यह राशि 750 क्रोनर (9011.14 रुपये) हो जाएगी। इसमें 60 फीसदी इनकम टैक्स भी काटा जाएगा। जिसके बाद वास्तविक कीमत 120 क्रोनर (लगभग 1443.45 रुपये) से शुरुआत होगी। 2035 में कुल 300 क्रोनर की राशि वहन करनी होगी। जलवायु परिवर्तन के लिए लगभग कार्बन डाईऑक्साइड को ही जिम्मेदार माना जाता है। अमेरिकी राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन की ओर से भी एक लेटेस्ट रिपोर्ट जारी की गई है। जिसके हिसाब से मीथेन 20 वर्ष में 87 गुना तक अधिक उष्मा को सोख लेती है। इसका प्रमुख स्त्रोत प्राकृतिक गैस प्रणालियों, तेल और लैंडफिल इकाइयों को माना जाता है। लेकिन अब पशुधन का स्त्रोत भी 2020 के बाद इसका कारक बनता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक मानव जितना मीथेन उत्सर्जन करता है, उसमें पशुधन का योगदान 32 फीसदी है।
Denmark will be the first country to tax cow, sheep and pig farts
…to save the planet.
They must think dinosaur farts killed off the dinosaurs too. pic.twitter.com/M4R0Ap9qEM
— Wake Awake (@WakeAwake1) June 27, 2024
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डेनमार्क के मंत्री ब्रुस के अनुसार वे जलवायु की स्थिति में परिवर्तन रोकने के लिए 2045 में भी बड़ा कदम उठाएंगे। तब कृषि पर भी कार्बन उत्सर्जन कर लगाया जाएगा। उनको उम्मीद है कि दुनिया के दूसरे देश भी ऐसे टैक्स लागू करेंगे। हालांकि इससे पहले 2025 में ऐसा ही कानून लागू करने का फैसला न्यूजीलैंड में हुआ था। लेकिन 2023 के चुनाव में केंद्र-वामपंथी सत्तारूढ़ गुट की सरकार हार गई। केंद्र-दक्षिणपंथी गुट ने इस कानून को लागू करने से मना कर दिया था। वहीं, डेनमार्क के फैसले को उसकी प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण संगठन के लिए काम करने वाली डेनिश सोसाइटी फॉर नेचर कंजर्वेशन ने सराहा है। इसे ऐतिहासिक समझौता करार दिया है।