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जब मंगोलिया में आई तबाही... तब धरती पर मछलियों का 'राज' था!

Mongolia Mystery : मंगोलिया में कई सालों पहले जो महासागर खुला था, वो उबलती चट्टानों के गर्भ से बाहर आया था। इस महासागर को मेंटल प्लम के नाम से जाना जाता है। अब भू-वैज्ञानिक इस पर अध्ययन कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि क्या है इस महासागर का रहस्य?
05:26 PM Jul 05, 2024 IST | Deepak Pandey
जब मंगोलिया में आई तबाही    तब धरती पर मछलियों का  राज  था
Mongolia Mystery

Mongolia Mystery : उत्तर पश्चिम मंगोलिया की धरती में क्या दबा है? इस सवाल का जवाब एक अध्ययन से मिलने की आस लगी है। दरअसल, 41 करोड़ साल पहले पृथ्वी के ऊपरी तह से उबलती चट्टानों का एक बड़ा टुकड़ा टूटकर मंगोलिया में गिरा था। इस घटनाक्रम से एक सागर का निर्माण हुआ, जो 11.5 करोड़ साल तक अस्तित्व में रहा।

इसी सागर के भूगर्भीय इतिहास के अध्ययन से शोधकर्ताओं को विल्सन चक्र को समझने में मदद मिल सकती है। विल्सन चक्र वह प्रक्रिया है, जिसके जरिए विशाल महाद्वीप अलग होते हैं और पास आते हैं। ये प्रक्रिया बहुत धीमी और बड़े स्तर पर होती है। मैड्रिड स्थित नेशनल स्पेनिश रिसर्च काउंसिल में भू वैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक डेनियल पास्टर-गैलन के मुताबिक, विल्सन चक्र प्रक्रिया एक साल में एक इंच से भी कम रफ्तार से आगे बढ़ती है।

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धरती की प्रक्रिया को समझना आसान नहीं : भू-वैज्ञानिक 

भू-वैज्ञानिक डेनियल ने कहा कि पृथ्वी में होने वाली इस प्रक्रिया को समझना बहुत आसान नहीं है और इसे देख पाना भी बहुत मुश्किल है। हालांकि, भू-वैज्ञानिक आखिरी विशाल महाद्वीप पैंजिया के टूटने की घटना का काफी सटीकता से आकलन कर सकते हैं और यह बता सकते हैं कि ये घटनाक्रम कैसे हुआ था, लेकिन इसके लिए पृथ्वी की बाहरी और भीतरी तह ने कैसे रिएक्ट किया? इसका मॉडल विकसित करना सबसे बड़ी चुनौती है। लाइव साइंस डॉट कॉम के मुताबिक पैंजिया महाद्वीप 32 करोड़ साल से 19.5 करोड़ साल पहले अस्तित्व में था।

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'मछलियों का युग' था डेवोनियन काल 

नए अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं में उत्तर पश्चिमी मंगोलिया में डेवोनियन काल की ज्वालामुखी चट्टानों की मौजूदगी ने दिलचस्पी पैदा की है। डेवोनियन काल का समय चक्र 41.9 करोड़ साल से 35.9 करोड़ साल पहले का है। डेवोनियन काल 'मछलियों का युग' था। तब समुद्र में मछलियों का दबदबा था और धरती पर पौधों का फैलाव शुरू हुआ था। स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक तब दो विशाल महाद्वीप होते थे, लौरेंशिया और गोंडवाना। इसके साथ ही छोटे-छोटे महाद्वीप भी थे, जो आगे चलकर एक दूसरे से टकराए और एशिया महाद्वीप के तौर पर सामने आए।

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