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भूकंप के जोरदार झटकों से दहशत! Atlantic Ocean और तिब्बत में आया 3 से 6 की तीव्रता वाला Earthquake

भूकंप के झटकों से लगातार धरती कांप रही है। आज अलसुबह फिर 2 देशों में भूकंप आया, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल 3 से 6 रही। हालांकि भूकंप से किसी तरह से नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन 6 की तीव्रता वाला भूकंप नुकसान के लिए काफी है और साढ़े 3 की तीव्रता वाला भूकंप किसी बड़े खतरे का संकेत हो सकता है।
06:07 AM Mar 15, 2025 IST | Khushbu Goyal
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Earthquake Tremors
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Earthquake News: भूकंप के झटके आए दिन धरती को दहला रहे हैं। हर रोज कहीं न कहीं भूकंप आ रहा है। लोग सुबह जगते हैं तो उन्हें भूकंप आने की खबर मिल जाती है। भूकंप के ताजा झटके तिब्बत और अटलांटिक महासागर में लगे। जनवरी महीने में तिब्बत में भूकंप से मची तबाही के बाद लगातार आए दिन ऑफ्टर शॉक लग रहे हैं।

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आज अलसुबह करीब एक बजे फिर तिब्बत मे भूकंप आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 रही। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, यह भूकंप 10 किलोमीटर की गहराई में आया, जिससे यह अतिसंवेदनशील भूकंप है। गुरुवार को भी दिन में तिब्बत में 3.5 से 4.3 तीव्रता वाले 3 भूकंप आए, जो किसी बड़े खतरे का इशारा हो सकते हैं।

 

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अटलांटिक महासागर में भी आया भूकंप

दूसरी ओर, जोरदार भूकंप आज सुबह करीब सवा 5 बजे अटलांटिक महासागर में आया, जिसके जोरदार झटकों से दक्षिण जॉर्जिया और दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह की धरती हिल गई। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 मापी गई, जो तबाही मचाने के लिए काफी है। इस भूकंप का केंद्र महासागर के अंदर 24 किलोमीटर की गहराई में मिला।

दक्षिण सैंडविच द्वीप समुद्र के बीचों-बीच बसा बेहद निर्जन द्वीप हैं। बहुत छोटी गैर-स्थायी आबादी दक्षिण जॉर्जिया में रहती है। इस क्षेत्र से या इसके लिए कोई निर्धारित उड़ानें या नौकाएं नहीं हैं। यहां तक सिर्फ क्रूज लाइनर ही जाते हैं और गर्मियों में यहां हजारों लोग जाते हैं, इसलिए यहां भूकंप से नुकसान होने का खतरा ज्यादा है।

 

भूकंप आने से पहले पता लगाना असंभव

बता दें कि इस तरह के उथले भूकंप धरती की सतह के करीब बहुत ज्यादा ऊर्जा निकलने के कारण गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं। इससे जमीन में अधिक कंपन होता है और नुकसान होता है, जबकि गहरे भूकंप सतह पर आते ही अपनी ऊर्जा खो देते हैं। तिब्बती पठार टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण होने वाली भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है। तिब्बत और नेपाल भूगर्भीय फॉल्ट लाइन पर स्थित हैं, जहां भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती हैं।

इसके परिणामस्वरूप भूकंप आना एक रेगुलर घटनाक्रम है। यह क्षेत्र भूकंप के मद्देनजर काफी संवेदनशील जोन है। धरती की संरचना बहुत जटिल है और हम भूकंप की भविष्यवाणी नहीं कर सकते। हालांकि वैज्ञानिक तिब्बत में भूकंप आने के कारणों को बेहतर ढंग से समझने और भूकंप से लगने वाले झटकों और परिणामों को समझने के लिए अध्ययन कर सकते हैं, लेकिन आने से पहले भूकंप का पता लगना संभव नहीं है, इसलिए सतर्कता ही भूकंप से बचने का एकमात्र उपाय है।

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