फिर जिंदा हुआ 300 साल पहले 'मर चुका' पक्षी; जानें कैसे रंग लाई जीव वैज्ञानिकों की मेहनत?
Extinct Bird Back to Life After 300 Years: 300 साल पहले 17वीं शताब्दी में लुप्त हो चुका एक पक्षी फिर पैदा हो गया है। जी हां, बात हो रही है Bald Ibis पक्षी की, जिसे अब तक सिर्फ तस्वीरों में देखा जाता था, लेकिन अब इसे आसमान में उड़ते हुए देखा जा सकेगा। अपने चमकदार पंखों और घुमावदार चोंच के साथ यह पक्षी कभी 3 महाद्वीपों उत्तरी अफ्रीका, अरब प्रायद्वीप और यूरोप के अधिकांश हिस्सों में पाया जाता था, विशेष सांस्कृतिक महत्व रखता था और इसके 'आत्मा' का प्रतीक माना जाता था। साउथ जर्मनी के बवेरिया में भी यह पक्षी पाया जाता है और साल 2011 में इस पक्षी को वैज्ञानिकों ने यूरोप से बवेरिया आते हुए देखा था। जीवविज्ञानी जोहान्स फ्रिट्ज़ इस पक्षी के सरंक्षण में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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500 से ज्यादा लोग इनकी देखरेख कर रहे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 20वीं सदी के आखिर तक इस पक्षी मोरक्को में 59 जोड़े थे, लेकिन शिकार करने के शौक, घर बनाने के लिए जंगलों के कटाव और कीटनाशकों के इस्तेमाल समेत अन्य मानवीय गतिविधियों ने इस पक्षी को विलुप्त होने की कगार पर पहुंचा दिया था, लेकिन जीव वैज्ञानियों के प्रयासों से यह पक्षी फिर से अस्तित्व में आ गया है। 1991 में मोरक्को के पश्चिमी तट पर सूस-मासा राष्ट्रीय उद्यान स्थापित किया गया। इस सेंटर ने आइबिस के प्रजनन, संरक्षण और देखभाल के लिए जरूरी इंतजाम किए। 1994 में शुरू हुए एक रिसर्च प्रोग्राम ने इस मिशन में काफी मदद की। आज यूरोप के जंगलों में 500 से ज्यादा पर्यावरण प्रेमी इस पक्षी के सरंक्षण में जुटे हैं।
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इन पक्षियों को प्रवास करते देखा जा चुका
जीव विज्ञानी फ्रिट्ज़ और ऑस्ट्रिया के संरक्षण एवं अनुसंधान समूह वाल्ड्राप्टेम के प्रयासों से साल 2002 में मध्य यूरोप में इस पक्षी की आबादी 300 तक पहुंच गई। जंगलों में पर्यावरण प्रेमी इस पक्षी के चूजों को उड़ना भी सिखाते हैं। 300 साल बाद पहले पक्षी आइबिस को साल 2011 में टस्कनी से बवेरिया आते हुए देखा गया। उसके बाद से यह पक्षी 550 किलोमीटर (342 मील) से ज्यादा की दूरी तय करके मध्य यूरोप आ रहे हैं। उम्मीद है कि 2028 तक मध्य यूरोप में इन पक्षियों की आबादी 350 से ज़्यादा हो जाएगी और वे आत्मनिर्भर हो जाएंगे। हालांकि साल 2023 में बवेरिया से यह पक्षी लगभग 2800 किलोमीटर (1740 मील) का सफर तय करके दक्षिणी स्पेन के अंदालुसिया तक गए। स्पेन तक की यह यात्रा 50 दिन में पूरी होगी।
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आइबिस की विशेषताएं
आइबिस पक्षी अपने काले और इंद्रधनुष वाले हरे रंग के पंखों, गंजे लाल सिर और लंबी घुमावदार चोंच के लिए जाने जाते हैं। यह पक्षी चट्टानों और खंडहरों में घोंसला बनाना पसंद करते हैं। यह अपना खाना खुद तलाशते हैं और इनके खाने में मुख्य रूप से कीड़े और लार्वा शामिल होते हैं। इस पक्षी को पालने वाली वाल्ड्रैप टीम की मेंबर बारबरा स्टीनिंगर बताती हैं कि वे इस पक्षी को मां बनकर पाल रही हैं। वे उन्हें खाना खिलाती हैं, उन्हें साफ करती हैं, उनके घोंसलों को साफ करती हैं। उनकी अच्छी देखभाल करती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि वे स्वस्थ हों। उनके साथ बातचीत भी करते हैं।
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