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‘मल’ ट्रांसप्लांट भी होता है, जानें कितनी आती है लागत? इस देश में क्यों बढ़ी इसकी डिमांड?

Fecal Transplant Cases in UK: इंग्लैंड में लिवर से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए मल ट्रांसप्लांट किया जाता है। एक शख्स हाल ही इस क्लीनिकल ट्रायल से गुजरा है। उस शख्स ने अपने अनुभव शेयर किए हैं। मल को ट्रांसप्लांट करने से पहले अच्छी तरह जांचा जाता है। जिसके बाद प्रक्रिया शुरू होती है।
07:31 PM Jul 24, 2024 IST | Parmod chaudhary
‘मल’ ट्रांसप्लांट भी होता है  जानें कितनी आती है लागत  इस देश में क्यों बढ़ी इसकी डिमांड

Fecal Transplant News: रिक डैलवे नाम के शख्स ने हाल ही में इंग्लैंड के बर्मिंगम विश्वविद्यालय में 'मल' ट्रांसप्लांट करवाया है। वे primary sclerosing cholangitis (PSC) नाम की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। इस बीमारी को लिवर के लिए गंभीर माना जाता है। रिक के अनुसार मल को ट्रांसप्लांट करने से पहले लैब में अच्छी तरह जांचा जाता है। रिक के अनुसार यूके में इस गंभीर बीमारी का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है। एक लाख लोगों में से 6-7 लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं।

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42 साल की उम्र में पता लगी बीमारी

रिक को 8 साल पहले इस बीमारी के बारे में पता लगा था। तब उनकी उम्र 42 साल थी। बीबीसी के अनुसार रिक काफी चिंतित थे। बीमारी का पता लगने पर उनको लगा कि जैसे वे चट्टान से गिर गए हों। Fecal Microbiota Transplant (FMT) को ही मल ट्रांसप्लांट कहा जाता है। अधिकतर देशों में पेट की बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर यह तकनीक अपनाते हैं। सबसे पहले स्वस्थ मल डोनर्स की जांच होती है। उनके मल के नमूनों से आंत के बैक्टीरियां को जांचा जाता है। इसके बाद पीड़ित की आंतों में इसको ट्रांसप्लांट किया जाता है।

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मल ट्रांसप्लांट के लिए नासोगैस्ट्रिक ट्यूब (गले से पेट में प्लास्टिक की ट्यूब), एनीमा (मलाशय में इंजेक्शन) या कोलोनोस्कोपी का यूज किया जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (NICE) के अनुसार क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल से पीड़ित लोग ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) से ही उपचार करवा सकते हैं। लेकिन रिक ने पीएससी के लिए परीक्षण के आधार पर अपना उपचार करवाया था। क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल (सीडिफ) एक हानिकारक बैक्टीरिया माना जाता है, जिससे व्यक्ति को दस्त की समस्या होती है।

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कुछ लोग इस इलाज को नहीं मानते सही

जो लोग एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, उनको ऐसी दिक्कत होती है। FMT के 50 ML के एक सैंपल की लागत 1684 डॉलर (1,40,943 रुपये) आती है। यह लागत यूके में एंटीबायोटिक्स लेने से कम मानी जाती है। कुछ रोगियों के लिए FMT एक बार ही आवश्यक होती है। कुछ अस्पताल में ओरल कैप्सूल दिए जाते हैं, जो मानव मल के स्वस्थ बैक्टीरिया से बने होते हैं। जैसे लिवर, किडनी और हार्ट का ट्रांसप्लांट होता है, वैसे ही इसकी जरूरत पड़ती है। यूके में इसके लिए वेटिंग भी इन्हीं बीमारियों के समान है। अंगों के मुकाबले मल उपलब्ध हो सकता है। लेकिन जल्दी लोग इसको लेने को लेकर असहज रहते हैं।

इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं

रिक के अनुसार इसे लेने में शर्म जैसी कोई बात नहीं है। उनके दोस्तों और पत्नी ने उनको काफी सपोर्ट किया। बर्मिंगम विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोम ट्रीटमेंट सेंटर (MTC) में उन्होंने अपना इलाज करवाया। स्वस्थ मल के नमूने माइनस 80 डिग्री टेंपरेचर में 12 महीने तक रखे जा सकते हैं। फिल्टर मल को फ्रोजन के बाद सिरिंज में डाला जाता है। माइक्रोबायोम ट्रीटमेंट सेंटर के निदेशक प्रोफेसर तारिक इक़बाल बताते हैं कि कई देशों में स्टूल बैंक (मल स्टोरेज के लिए) नहीं हैं।

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