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मिल गया सोने का उल्लू, 31 साल बाद पूरी हुई खोज; 12 सुराग के जरिए अब कहां मिला करोड़ों का गोल्ड?

World News in Hindi: 1993 में शुरू हुई एक खजाना की खोजने की प्रतियोगिता आखिरकार समाप्त हो गई है। 31 साल पहले की बात है, एक देश में 'उल्लू' को दफन किया गया था। इस उल्लू को खोजने के लिए लाखों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। ऐलान किया गया था कि जो इस उल्लू को खोजेगा, यह उसे ही मिलेगा।
07:57 PM Oct 06, 2024 IST | Parmod chaudhary
मिल गया सोने का उल्लू  31 साल बाद पूरी हुई खोज  12 सुराग के जरिए अब कहां मिला करोड़ों का गोल्ड

World Latest News: दुनिया की सबसे लंबी खजाने की खोज पूरी हो गई है। फ्रांस में जिस उल्लू को 31 साल पहले दफन किया गया था। वह उल्लू की मूर्ति अब खोज ली गई है। तीन दशक पहले इस मायावी उल्लू की खोज फ्रांस में शुरू हुई थी। 1993 के बाद दुनियाभर के लाखों प्रतिभागी इसकी खोज में जुटे थे। प्रतिभागियों के लिए पुस्तक में सुलझाने के लिए 11 पहेलियां दी गई थीं। वहीं, इसके बाद 12वीं एक छिपी पहेली को भी हल करना था। हजारों लोगों ने इन पहेलियों की सीरीज को समझने की कोशिश की। जो उन लोगों को उल्लू की दफन कांस्य की मूर्ति खोजने में मदद कर सकती थी। बता दें कि इस खजाने को प्रतियोगिता के तहत खोजना था। यह प्राकृतिक खजाना नहीं है।

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1993 में शुरू हुई प्रतियोगिता

इस खजाने को गोल्डन आउल कहा जाता है। मैक्स वैलेन्टिन ने इस सीरीज को शुरू किया था। उन्होंने उल्लू की मूर्ति को फ्रांस में कहीं दफना दिया था। इस रहस्य से जुड़े तमाम सुराग 1993 में प्रकाशित एक पुस्तक 'ऑन द ट्रेल ऑफ द गोल्डन आउल' में थे। खजाना खोज की आधिकारिक चैटलाइन पर किताब के चित्रकार माइकल बेकर ने इसको लेकर एक पोस्ट की। गुरुवार सुबह उन्होंने बताया कि गोल्डन उल्लू की प्रतिकृति को कल रात खोदा गया था। वे इसकी पुष्टि करते हैं। प्रतिभागियों को ऑनलाइन मामला सुलझाने को लेकर जानकारी दे दी गई है। अब कहीं भी खुदाई के लिए यात्रा करना व्यर्थ होगा।

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इस सीरीज में 12 पहेलियां सुलझाई जानी थीं। जिसके बाद पुरस्कार के तौर पर सोने का उल्लू मिलना था। इसकी कीमत एक करोड़ 38 लाख रुपये बताई गई है। वहीं, न तो उल्लू की खोज करने वाले के बारे में जानकारी दी गई है। न ही ये बताया गया है कि उल्लू कहां दफन था? जिसके बाद खजाने की खोज में जुटे प्रतिभागियों के बीच चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर भी इस पोस्ट को लेकर रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। एक शख्स ने लिखा कि अंतत: मुक्ति मिल गई। वहीं, दूसरा शख्स मजाकिया टिप्पणी करता है।

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2009 में हो चुकी वैलेन्टिन की मौत

खजाना खोजने का पूरा खेल किताबों, मैगजीनों और वेबसाइटों पर खेला गया। बता दें कि सीरीज के आयोजक वैलेन्टिन की मौत 2009 में हो गई थी। बाद में बेकर ने इस प्रतियोगिता का जिम्मा संभाला। नियमों के तहत आयोजकों को यह बताना जरूरी है कि पहेलियां कैसे हल की गईं? न कि संयोग से इनको पूरा किया गया। बताया जा रहा है कि दबे उल्लू के बारे में सिर्फ वैलेन्टिन को ही पता था। बैकर को भी उल्लू के बारे में जानकारी नहीं थी। वैलेन्टिन के परिवार ने इसका जवाब एक सीलबंद रिपोर्ट में दिया है। प्रतिभागियों को पुस्तक में 11 पहेलियों के बाद 12वीं छिपी पहेली को हल करने का टास्क मिला था।

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