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चीन ने लैब में बनाया एक और जानलेवा वायरस; केवल 3 दिन में ले सकता है जान!

Hebei Medical University Synthetic Virus Study Report: चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पता चला है कि चीन की एक यूनिवर्सिटी की लैब में खतरनाक वायरस तैयार किया गया है। जो इंसानों को मिनटों में मौत की नींद सुला सकता है। चीन के इस वायरस को लेकर काफी चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
07:37 PM May 25, 2024 IST | Parmod chaudhary
चीन ने लैब में बनाया एक और जानलेवा वायरस  केवल 3 दिन में ले सकता है जान
चीन का एक और खतरनाक वायरस।

China Hebei Medical University: चीन की हेबेई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इबोला जैसा एक नया वायरस ईजाद किया है। इबोला की तरह ये वायरस काफी खतरनाक है, जो किसी इंसान को सिर्फ 3 दिन में मौत की नींद सुला सकता है। रोगजनक इस वायरस को प्रभावों को अध्ययन करने के लिए ईजाद किया गया है। जिसके संभावित लाभ और खतरों को लेकर अब चर्चा तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों की ओर से ईजाद किए गए वायरस का स्वरूप सिंथेटिक जैसा है, जो हूबहू इबोला की तरह घातक है। इस स्टडी रिपोर्ट को साइंस डायरेक्ट में भी प्रकाशित किया गया है।

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इबोला वायरस के घटकों का उपयोग करके ईजाद किए गए इस खतरे को काफी विवादास्पद शोध माना जा रहा है। शोध का उद्देश्य बीमारियों को रोकना और लक्षणों की जांच करना था। जो मानव शरीर पर इबोला के प्रभावों की नकल कर सके। वेसिकुलर स्टामाटाइटिस वायरस (वीएसवी) का उपयोग टीम ने इबोला वायरस से ग्लाइकोप्रोटीन (जीपी) ले जाने के लिए किया। यह प्रोटीन वायरस में खुद की कोशिकाओं में एंटर करने और इन्फेक्टेड करने के लिए कारगर है।

जानवरों के अंगों से मिला खतरनाक इनपुट

सीरियाई हैम्स्टर्स के एक समूह (जानवरों की प्रजाति) पर इसका प्रयोग जांचा गया है। जिसमें पांच पुरुष और पांच मादाएं शामिल थीं। सभी को इस वायरस का इंजेक्शन दिया गया, जिसके बाद सभी में इबोला जैसे लक्षण दिखे। 3 दिन में सभी की मौत हो गई। कुछ जानवरों की आंखें खराब हो गईं। कई जानवरों में दिखाई देने के अलावा ऑप्टिकल तंत्रिका में भयंकर बदलाव दिखे। मौत के बाद जानवरों के अंग काटे गए, ताकि सही से इसके प्रभावों का पता लगाया जा सके। जिसके बाद ह्रदय, किडनी, लिवर और गुर्दे, आंतों में जरूरी शैल जमा मिले। वायरोलॉजी अध्ययन के लिए इस शोध को अब विवादास्पद माना जा रहा है। इबोला का प्रकोप 2014 और 2016 के बीच अफ्रीकी देशों में दिखा था, जिसके कारण हजारों मौते हुई थीं।

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