होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हो गया, पर इस सैनिक को नहीं हुआ भरोसा, 29 साल तक अकेले जारी रखी जंग!

Lieutenant Hiroo Onoda: दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान की सेना की एक टुकड़ी फिलीपींस के एक आइलैंड पर थी। इसमें शामिल एक सैनिक को युद्ध खत्म होने के संदेशों पर भरोसा नहीं हुआ क्योंकि उसे लगा था कि यह दुश्मन की चाल है। इसलिए उसने अपनी ओर से लड़ाई जारी रखी जो अगले 29 साल तक चलती रही। इस रिपोर्ट में जानिए इसी अद्भुत सैनिक के बारे में।
10:13 AM Apr 13, 2024 IST | Gaurav Pandey
Lieutenant Hiroo Onoda (Wikipedia)
Advertisement

Lieutenant Hiroo Onoda : पहले विश्व युद्ध के मुकाबले दूसरे विश्व युद्ध की विभीषिका कहीं ज्यादा थी। इसका असर हर वर्ग पर पड़ा था लेकिन फ्रंटलाइन पर लड़ने वाले सैनिकों पर इसका असर अलग ही था। वैश्विक शांति सुनिश्चित करने के लिए इन सैनिकों ने अपना सबकुछ बलिदान कर दिया था। इसके अलावा इन्हें इस युद्ध की मानसिक रूप से भी बड़ी कीमत चुकाई थी। ऐसे ही एक सैनिक थे जापान के लेफ्टिनेंट हिरू ओनोडा, जिन्होंने दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद भी अगले करीब 3 दशक तक अकेले ही लड़ाई जारी रखी थी। इस रिपोर्ट में पढ़िए उन्हीं की कहानी।

Advertisement

हिरू ओनाडा नॉर्थ-वेस्टर्न फिलीपींस में जापानी सेना की 60 सैनिकों की टुकड़ी का हिस्सा थे। पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर ओनोडा ने इस बात पर विश्वास करने से ही इनकार कर दिया था कि उनका देश लड़ाई हार गया है और विश्वयुद्ध खत्म हो गया है। इसलिए लुबांग आइलैंड में उन्होंने अपना गोरिल्ला युद्ध जारी रखा। साल 2010 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि हर जापानी सैनिक अपनी जान देने के लिए तैयार था। लेकिन मुझे गोरिल्ला वारफेयर चलाने का और न मरने का आदेश दिया गया था। अगर मैं आदेश को नहीं मानता तो ये मेरे लिए बहुत ही शर्म की बात होती।

युद्ध खत्म होने के संदेश को समझा दुश्मन की चाल!

उन्हें युद्ध खत्म होने की जानकारी भी दी गई थी। इसके लिए उन्हें कई चिट्ठियां डाली गईं। लेकिन ओनोडा को लगा कि दुश्मन उनको कंफ्यूज करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है। ओनोडा ने कहा था कि युद्ध खत्म होने को लेकर जो मैसेज मुझे मिले थे उनमें बहुत गलतियां थीं। इसलिए मैंने समझा कि यह अमेरिका का प्लॉट था। साल 1942 में सेना में शामिल हुए लेफ्टिनेंट ओनोडा को गोरिल्ला वारफेयर स्किल्स के साथ इंटेलिजेंस ऑफिसर के तौर पर प्रशिक्षण दिया गया था। फिलीपींस के आइलैंड पर तैनाती के बाद वह दुश्मन सैनिकों के खिलाफ लगातार लड़ते रहे थे।

Advertisement

समय के साथ उनकी टुकड़ी के सैनिकों की संख्या कम होती गई और एक समय ऐसा आया जब उन्हें अपने 2 साथियों के साथ जंगल में छिपना पड़ा था। लेकिन स्थानीय सैनिकों और ग्रामीणों के साथ टकराव में उनके साथी भी मारे गए। तब उन्होंने जंगल में छिपते हुए नारियल पानी और केले खाकर खुद को जिंदा रखा। एक समय में तो यह मान लिया गया था कि ओनोडा भी मारे जा चुके हैं। लेकिन, जापान के एक एक्सप्लोरर नोरियो सुजुकी इस बात को स्वीकार करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे और उन्होंने ओनोडा की तलाश करने के लिए फिलीपींस जाने का फैसला लिया।

पूर्व कमांडिंग अधिकारी ने आदेश दिया तब रोकी जंग

रिपोर्ट्स के अनुसार नोरियो ने ओनोडा को ढूंढ भी निकाला। लेकिन जब उन्होंने युद्ध खत्म होने की बात कही तो ओनोडा ने कहा कि मैं तब तक लड़ना बंद नहीं करूंगा जब तक मुझे ऐसा आदेश नहीं मिलता कि मेरी सेवाएं समाप्त की जाती हैं। साल 1974 में जब ओनोडा के पूर्व कमांडिंग अधिकारी ने उनसे मुलाकात की और जंग बंद करने का आदेश दिया तब ओनोडा ने हथियार डाले। इस दौरान उन्होंने जो अपराध किए थे उनके लिए उन्हें माफी कर दिया गया। बता दें कि 16 जनवरी 2014 को 91 साल की उम्र में ओनोडा की मौत हो गई थी। उनके दिल ने काम करना बंद कर दिया था।

ये भी पढ़ें: इजराइल पर कभी भी हमला कर देगा ईरान! नेतन्याहू की सेना हाई अलर्ट पर

ये भी पढ़ें: इस देश ने किस तरह तोड़ दिया चीन के 'साइबर क्राइम सिंडिकेट' का जाल?

ये भी पढ़ें: जानिए ऐसे 5 वैज्ञानिकों के बारे में, जिनके आविष्कारों ने ही ले ली उनकी जान

Open in App
Advertisement
Tags :
JapanSecond World Warspecial-newsworld news
Advertisement
Advertisement