प्रधानमंत्री की मस्जिद में घुसकर हत्या, सजा-ए-मौत मिली, एक साल में जेल से छूटा, देश का 'हीरो' कहलाया
Iran Prime Minister Murderer Khalil Tahmasebi Story: एक कारपेंटर ने मस्जिद में घुसकर ईरान के प्रधानमंत्री हज अली रजमारा को गोलियों से छलनी कर दिया था। इस अपराध के लिए लिए कोर्ट ने उसे सजा-ए-मौत दी, लेकिन वह एक साल के अंदर जेल से छूट गया।
इसके बाद लोगों ने उसे देश का 'हीरो' बना दिया। खलील तहमासेबी ईरानी कट्टरपंथी समूह फदायन-ए इस्लाम का सदस्य था, जिसे लोगों ने 'पहला शिया' होने का दर्जा दिया। उसने आज ही के दिन 7 मार्च 1951 को ईरानी प्रधानमंत्री अली रज़मारा की हत्या कर दी थी, जिन्हें धार्मिक कट्टरपंथी माना जाता है।
Today in 1951 Iranian prime minister Ali Razmara is assassinated by Khalil Tahmasebi, a member of the Islamic fundamentalist Fada'iyan-e Islam, inside a mosque in Tehran pic.twitter.com/YyMoD5GPfk
— the painter flynn (@thepainterflynn) March 7, 2023
तख्ता पलट के बाद फांसी पर लटका दिया गया
1952 में मोसद्देग के प्रधानमंत्रित्व काल में ईरानी संसद ने खलील को रिहा कर दिया। उसकी लंबित मौत की सजा को भी रद्द कर दिया था। उसे इस्लाम का सैनिक घोषित किया गया था। जेल से छूटते ही खलील हज़रत अब्दोलाज़िम दरगाह पहुंचा और ख़ुशी के मारे रोते हुए बोले कि जब मैंने रज़मारा को मार डाला तो मुझे यकीन था कि उसके लोग मुझे मार डालेंगे।
इसके बाद उसका यह डर सच साबित हुआ। 1953 में ईरान में तख्तापलट हुआ और खलील तहमासेबी को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ प्रधानमंत्री की हत्या का मुकदमा चलाया गया और 1955 में उसे फांसी दे दी गई।
3/7/1951 #Iran Haj Ali Razmara Becomes 3rd Iranian Prime Minister to Leave Office by Assassination—"Razmara went to the Shah Mosque for a memorial service—police opened a corridor through the courtyard—The assassin, in the crowd, fired 3 quick shots..."—>https://t.co/1x6y2AJBx9 pic.twitter.com/malJFig4Ju
— Historrror (@3rdReichStudies) March 7, 2019
कौन थे हज अली रजमारा?
हज अली रजमारा साल 1951 में ईरान के प्रधानमंत्री थे। 49 साल की उम्र में तेहरान में शाह मस्जिद के बाहर फदायन-ए इस्लाम संगठन के मेंबर 26 वर्षीय खलील तहमासेबी ने उनकी हत्या कर दी थी। रज़मारा तीसरे ईरानी प्रधानमंत्री थे, जिनकी हत्या की गई थी। रज़मारा का जन्म 1901 में तेहरान में हुआ था।
उनके पिता मोहम्मद खान रज़मारा सैन्य अधिकारी थे। रज़मारा ने अनवर ओल मोलौक हेदायत से शादी की थी, जो ईरानी लेखक सादेघ हेदायत की बहन थीं। उनके 5 बच्चे थे। उनके बेटों में से एक नोज़र 1970 के दशक के अंत में मिस्र के काहिरा में SAVAK के स्टेशन का प्रमुख बना था।
⚫🇮🇷 – Un membre de Fedayin de l’Islam, une organisation souhaitant purifier l’Islam en Iran en tuant des personnalités « corrompues », assassine le Premier ministre Haj Ali Razmara. De cet attentat découlera notamment la nationalisation de l'Anglo-Iranian Oil Company. #7Mars1951 pic.twitter.com/1DOJNiDqDh
— RétroActu (@ActuRetro) March 7, 2022
रजमारा ने बर्खास्त किए थे एक साथ 400 अधिकारी
रज़मारा को 1950 में प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया था। उनका विचार सरकार को लोगों तक पहुंचाना था। उनकी उपलब्धियों में से एक अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन के साथ समझौता करके प्वाइंट IV कार्यक्रम की स्थापना थी। रज़मारा ने कुल 187,000 सिविल सेवकों में से कई अधिकारियों को हटाकर सरकारी वेतन में कटौती की थी। उन्होंने एक झटके में लगभग 400 उच्च पदस्थ अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया था।
ऐसा करके उन्होंने कट्टरपंथी भू-मालिकों और व्यापारी परिवारों की नाराजगी मोल ली थी। कहा जाता है कि यही दुश्मनी उनकी हत्या का कारण बनी। 7 मार्च 1951 को रज़मारा सेवा करने के लिए मस्जिद में गए। इस दौरान भीड़ में शामिल खलील ने उन पर लगातार 3 गोलियां चलाईं। खलील तहमासेबी को घटनास्थल पर ही गिरफ्तार कर लिया गया।
यह भी पढ़ें: पानी में उतरने के महज 90 सेकेंड में डूब गया 8 मंजिला जहाज, 193 लोगों की बन गई जल समाधि
रजमारा के सहयोगियों को मिली थी हत्या की धमकी
अगले दिन एक सार्वजनिक प्रदर्शन में 8,000 से अधिक रजमारा विरोधी तुदेह पार्टी के सदस्यों और नेशनल फ्रंट समर्थकों ने भाग लिया। फदायन-ए इस्लाम ने पर्चे बांटे, जिनमें धमकी दी गई थी कि अगर हत्यारे तहमासेबी को तुरंत रिहा नहीं किया गया तो रजमारा के सभी सहयोगियों को मार दिया जाएगा। नेशनल फ्रंट का नेतृत्व करने वाले मोहम्मद मोसादेघ रज़मारा की हत्या के 2 महीने के भीतर प्रधानमंत्री बने।
ईरान में मुल्लाओं के नेता अयातुल्ला सैय्यद अबोल-घासेम काशानी ने फदायन-ए इस्लाम को समर्थन दिया। इसके बाद काशानी नेशनल फ्रंट के करीब हो गए। उनकी सिफारिश पर तहमासेबी को 1952 में ईरानी संसद द्वारा रिहा कर दिया गया था, लेकिन 1953 में तख्ता पलटने के बाद खलील को गिरफ्तार करके 1955 में उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया।
यह भी पढ़ें: 16000 फीट ऊंचाई, 250KM स्पीड, अचानक 2 टुकड़े हुआ जहाज, लगी भीषण आग, जिंदा जल गए 124 लोग