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Israel Iran Row: कौन है ईरान की स्पेशल आर्मी! जिसने इजरायल पर गिराए 200 से ज्यादा ड्रोन

Israel Iran War: ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड को बेहद घातक माना जाता है। इजरायल पर जो ड्रोन हमला किया गया। उसमें रिवॉल्यूशनरी गार्ड की अहम भूमिका थी। माना जा रहा है कि हमले में 200 से अधिक ड्रोन गिराए गए।
09:59 AM Apr 14, 2024 IST | News24 हिंदी
रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स
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Israel Iran War Update: इजरायल और ईरान में तनाव चरम पर है। इसी बीच ईरान के बेहद घातक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की चर्चा हो रही है। रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स यानी आईआरजीसी के पास ही ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के देखरेख की जिम्मेदारी है। सूत्रों के मुताबिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने ही शनिवार को इजरायल पर टारगेट्स के खिलाफ 200 से ज्यादा ड्रोन हमले किए थे। सीरिया की राजधानी दश्मिक में एक अप्रैल को ईरानी राजनयिक परिसर में हवाई हमला किया गया था।

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जिसमें कोर के कुद्स बल के एक वरिष्ठ कमांडर मोहम्मद रजा जाहेदी मारे गए थे। इसके लिए ईरान इजरायल को दोषी मानता है। जिसके बाद ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इसका बदला लेने की बात कही थी। आईआरजीसी की स्थापना 1979 में हुई थी। जिसका मकसद शिया मुस्लिम लिपिक शासक प्रणाली की रक्षा करना था। इसकी सेना, वायु सेना, नौसेना और सीक्रेट विंग बनाई गई थी।

रेगुलर फोर्स को प्रतिकार प्रदान करने का काम भी ये गार्ड करते हैं। इनकी रिपोर्टिंग भी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को है। माना जाता है कि सभी विंगों में इसके सवा लाख जवान हैं। इनका काम सरकार के विरुद्ध होने वाले प्रदर्शनों को कुचलना भी है। 1980 के दशक की बात करें तो इराकी सैनिकों के खिलाफ बासिजिस ने मानवीय हमले किए थे। शांतिकाल में भी इनकी अहम भूमिका होती है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि बासिज स्वयंसेवकों की तादाद लगभग 10 लाख हो सकती है। कुद्स फोर्स को आईआरजीसी की विदेशी शाखा माना जाता है। जो इराक, यमन, लेबनान और सीरिया ते मिडिल ईस्ट में अपने सहयोगी मिलिशिया को काफी प्रभावित करती है। इसके लोगों ने ही सीरिया के गृह युद्ध में राष्ट्रपति बशर अल असद के पक्ष में लड़ाई लड़ी है। आईएस के आतंकियों के खिलाफ जंग में इराकी सुरक्षा बलों को सपोर्ट किया है। इसके शीर्ष कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को 2020 में यूएस ने इराक में मार गिराया था। इस ड्रोन हमले के बाद ईरान और यूएस में काफी तनाव हो गया था।

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संयुक्त राज्य अमेरिका इसे आतंकवादी संगठन मानता है। आईआरजीसी ईरान को पहले जैसा आकार देने के लिए काम कर रहा है। 1982 में इस संगठन ने इस्लामी क्रांति के दौरान खास भूमिका निभाई थी। लेबनान में जब इजरायल ने अटैक किया, तब शिया राजनीतिक आंदोलन हिजबुल्लाह की स्थापना भी इस संगठन ने की थी। आईआरजीसी ही अब ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की जिम्मेदारी निभाता है।

आईएस के खिलाफ जंग में रही अहम भूमिका

सीरिया में सुन्नी मुस्लिम आतंकवादियों और उत्तरी इराक में ईरानी कुर्द विपक्षी समूहों पर अटैक में इस संगठन की अहम भूमिका रही है।। यूएस और सऊदी अरब के साथ ही वेस्ट ग्रुपों ने 2019 के ड्रोन और मिसाइल हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था। जिसके कारण सऊदी अरब में दुनिया की सबसे बड़ी तेल प्रसंस्करण सुविधा तबाह हो गई थी। ईरान ने इससे इन्कार किया था। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में परमाणु समझौते से बाहर होने का एलान किया था। जिसका कारण ईरान का मिसाइल कार्यक्रम माना गया था।

कई प्रोजेक्टों में रही है अहम भूमिका

रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को पारंपरिक युद्ध करने में माहिर माना जाता है। जो सीरिया और इराक के संघर्ष में भूमिका निभा चुके हैं। ये लोग ईरानी सरकार के अलावा संसद में भी अहम पदों पर नियुक्त है। आईआरजीसी के कई पूर्व अफसर भी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के मंत्रिमंडल में शामिल हैं। आईआरजीसी 1980 में इराक के साथ जंग के बाद लगातार ईरान के पुनर्निर्माण में शामिल रहा है। दूरसंचार, तेल, गैस परियोजनाओं के साथ कई आर्थिक प्रोजेक्टों में इसकी भूमिका रही है।

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