खून से सनी लाशें, तड़प-तड़पकर मरते लोग देखे; Udham Singh ने ऐसे लिया जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला
Shaheed Udham Singh Memoir: खून से सनी लाशें देखीं, लोगों को तड़प-तड़प कर मरते देखा, इतना नरसंहार देखकर सीने में बदले की आग धधकने लगी। करीब 21 साल तक बदला लेने के लिए तड़पते रहे और फिर एक दिन मौका मिला और बैठक में घुसकर उसके सीने में गोलियां दाग दी।
इस तरह शहीद ऊधम सिंह ने 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला 21 साल बाद तत्कालीन ब्रिटिश लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर को मारकर लिया। वर्ष 1940 में आज ही के दिन शहीद ऊधम सिंह ने लंदन जाकर भरी सभी में डायर को गोलियों से छलनी कर दिया था।
Shaheed Udham Singh returned to this small room of Chief Khalsa Diwan Orphanage in Amritsar, after witnessing the #JallianwalaBaghMassacre on 13th April 1919.
He avenged it, 21 years later.
He lived in this CKD run Orphanage from 1907 to 1919, along with his brother.
His… pic.twitter.com/yWlXwL7vek— HarshVivek Singh (@HVSBanwait) April 13, 2023
हत्या के लिए ऊधम सिंह को हुई थी फांसी
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में ओ डायर ने नरसंहार किया था। निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवाई थीं। इस फायरिंग में करीब एक हजार लोग मारे गए थे। 2 हजार लोग गंभीर घायल हुए थे। उसी हत्याकांड का बदला शहीद ऊधम सिंह ने लिया और अपनी गिरफ्तारी दी।
इस मर्डर के लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार ने फांसी की सजा सुनाई। 31 जुलाई 1940 को उन्हें लंदन की पेंटनविले जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। वहीं ऊधम सिंह को भारत में शहीद का दर्जा किया गया। ऊधम सिंह ने जिस पिस्तौल से डायर को गोलियां मारी थीं, वह किताब में छिपाकर लाए थे।
On this day in 1940, Shaheed Udham Singh Ji, after performing Ardas at the Khalsa Jatha British Isles, assassinated the ex Lieutenant Governor General of Punjab, Michael O’Dwyer at Caxton Hall in revenge for the Jallianwala Bagh massacre in Amritsar in 1919. #ShaheedUdhamSingh pic.twitter.com/yo9Waay4gd
— KhalsaJatha (@khalsajatha) March 13, 2023
कैसे लिखी मर्डर की स्क्रिप्ट और पहुंचे लंदन?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में जो नरसंहार हुआ था, वह शहीद ऊधम सिंह ने अपनी आंखों से देखा था। उस दिन ऊधम सिंह ने खून से सनी धरती की मिट्टी माथे से लगाकर बदला लेने का संकल्प लिया था। गोलियां चलाने का आदेश देने वाले पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओ डायर को मारने की कसम खाई थी। वे क्रांतिकारी बन गए थे।
साल 1927 में उन्हें जनरल डायर की बीमारी के चलते मौत होने की खबर मिली, लेकिन वे माइकल ओ डायर की हत्या करने का मौका तलाशने लगे। इसके लिए वे किसी तरह जुगाड़ लगाकर 1934 में लंदन पहुंचे। 9 एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर घर खरीदा। एक कार और 6 गोलियां वाली रिवॉल्वर खरीदी। साथ ही डायर को मारने का मौका तलाशने लगे। उसके घर का पता तक उन्होंने लगा लिया था। वे रोज उसका पीछा करते।
Today in history: 83 years ago
on 13 March 1940 Ex-Governor of Punjab Sir Michael O'Dwyer, aged 75, was shot dead at a meeting in Caxton Hall in Westminster, London, by an Indian revolutionary Shaheed Udham Singh, in retaliation for the Jallianwala Bagh massacre in Amritsar. pic.twitter.com/v4C7Gl6DOR— Gujarat History (@GujaratHistory) March 13, 2023
1947 में ऊधम सिंह के अवशेष भारत को मिले
13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की बैठक लंदन के कॉक्सटन हॉल में हुई। इस बैठक में डायर भी आया था। वे एक किताब लेकर बैठक में पहुंच गए। इस किताब में उन्होंने पेजों के बीच रिवॉल्वर छिपाई थी। इसके बाद जैसे ही डायर बोलने के लिए खड़ा हुआ, उन्होंने दीवार की सीध से उसके सीने में गोलियां उतार दी, लेकिन वे मौके से भागे नहीं।
उन्होंने गिरफ्तारी दी और उनके ऊपर डायर की हत्या का केस चला। 4 जून 1940 को ऊधम सिंह को डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया। 31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में उन्हें फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया। 1974 में ब्रिटिश सरकार ने शहीद ऊधम सिंह के अवशेष भारतीयों को सौंपे।